इजराइल और फिलिस्तीन के बीच युद्ध की संभावना, पढ़ें यह पूरी रिपोर्ट
विश्व के कई देश शांति बनाए रखने की दोनों देशों से कर रहें अपील
दुनिया के जब अधिकतर देश कोरोना से लड़ रहे। इसी बीच विश्व के दो देश आपसी युद्व की दिशा में बढ़ रहें हैं। जी हां इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है। अब स्थिति दोनों देशों के बीच युद्व की बनती दिख रहीं है। जानकारी के लिए बता दें कि इजरायल और फिलिस्तीन, दोनों एक दूसरे को लगातार निशाने पर ले रहे हैं और अभी तक जो ख़बर निकलकर आ रही है। उसके मुताबिक गाजा पट्टी में इजराइल के साथ संघर्ष में नौ बच्चों समेत 20 लोगों की मौत हो गई है। फिलिस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
मृतक संख्या के हिसाब से यह दिन पिछले कई सालों में सबसे अधिक रक्तपात वाले दिनों में एक रहा। जिसको लेकर विश्व पटल के कई देशों ने इजरायल और फिलिस्तीन से तनाव कम करने की अपील की है, लेकिन हालात और तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। वहीं, अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने इजरायल और फिलिस्तीन से शांति बहाली की अपील की है लेकिन सोमवार रात भी फिलिस्तीनी चरमपंथियों ने येरुशलम पर कई रॉकेट दागे हैं, जिसका जवाब देते हुए इजरायली सेना ने गाजा पट्टी में कई चरमपंथी ठिकाने पर हवाई हमले किए हैं, जिसके बाद तनाव युद्ध के हालात तक पहुंच चुके हैं।
बता दें कि इजराइल में “येरूशलम दिवस” को लेकर शुरू से ही विवाद रहा है। इजराइल 1967 में पूर्वी येरूशलम पर कब्जा करने का जश्न इस दिन मनाता है, जिसका फिलिस्तीन के नागरिक विरोध करते हैं क्योंकि वे इस कब्जे को मान्यता नहीं देते हैं। वे मानते हैं कि इस क्षेत्र पर उनका भी पूरा अधिकार है। इजराइल और फिलिस्तीन दोनों ही पूर्वी येरूशलम पर अपना दावा जताते हैं। वही विवाद का एक दूसरा कारण यह भी है कि येरूसलम में मुस्लिमों की तीसरी सबसे पवित्र “अल अक्सा मस्जिद” है। वहीं मस्जिद के बगल में यहूदियों का पवित्र मंदिर भी है और इसी वजह से विवाद लगातार होता रहता है। यहूदियों के लिए ये मंदिर काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है और मंदिर की सुरक्षा के लिए हमेशा इजरायली सेना वहां मौजूद रहती है। वहीं फिलिस्तीन की रेड क्रेसेंट ने कहा है कि इजरायली सेना से संघर्ष में करीब 700 फिलिस्तीनी घायल हुए हैं। बीबीसी के मध्यपूर्व मामलों के संपादक जरेमी बॉवेन के मुताबिक “इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चलने वाला ये संघर्ष कोई नया नहीं है और इस अनसुलझे विवाद को लेकर लंबे वक्त से दोनों तरफ के लोग टकराते रहते हैं। अभी के संघर्ष की पीछे की वजह ना सिर्फ धार्मिक मान्यता है बल्कि दोनों देशों के लिए ये एक महत्वपूर्ण जगह भी है।”
भारत का दशकों से मददगार रहा है इजराइल
कोरोना काल में इजराइल भारत की मदद तो कर ही रहा। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रोफेसर निकोलस ब्लेरल ने अपनी किताब “द इवैल्यूएशन ऑफ इंडियाज इजरायल पॉलिसी” में लिखा है कि इजरायल उन चुनिंदा देशों में से एक था जिसने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भारत को सीधे तौर पर मोर्टार, गोलाबारुद और अन्य हथियारों की सप्लाई की थी। भारतीय लड़ाकू विमानों और निगरानी ड्रोन के लिए इजराइल ने ही लेजर गाइडेड मिसाइलें दी थीं।
कारगिल युद्ध में भारतीय वायु सेना को अपने मिशन को पूरा करने के लिए विभिन्न तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। साथ ही वायु सेना को ये सख्त हिदायत थी कि किसी भी स्थिति में पाक सीमा में दाखिल न हो। ऐसे में लेजर गाइडेड मिसाइलों के ना होने के चलते जमीन पर मौजूद भारतीय थल सेना को सपोर्ट देना मुश्किल था और ऊंची पहाड़ियों पर छिपे हुए पाकिस्तानी घुसपैठियों के बंकर भारतीय फौज के लिए परेशानी बने हुए थे। फ़िर मुश्किल वक्त में इजरायल भारत के साथ खड़ा हुआ था और इजरायल की लेजर गाइडेड मिसाइलों ने वायु सेना का काम आसान कर दिया। वायु सेना के मिराज 2000 एच लड़ाकू विमानों को लेजर गाइडेड मिसाइलों से लैस किया गया। ऐसे में भारतीय अवाम को स्वयं यह निर्णय करना चाहिए कि वह इजराइल के साथ खड़ी होगी या फ़िर फिलिस्तीन के साथ?