कोरोना से गांवों को बचाना है तो भंडारा ज़िले से सीख लें
लोगों को स्वयं सचेत होना पड़ेगा तभी गांव रह पाएंगे कोरोना से सुरक्षित
कोरोना वायरस की दूसरी लहर से देश में भयावह स्थिति निर्मित हो चली है। बीते कुछ दिनों से लगातार हर दिन 4 लाख के आसपास नए केस सामने आ रहें। कोई भी राज्य कोरोना की दूसरी लहर से अछूता नहीं। सबसे ख़राब स्थिति में कोई राज्य है तो वह महाराष्ट्र है। महाराष्ट्र में रविवार को कोरोना संक्रमण के 48,000 हजार से ज्यादा मामले सामने आए थे। महाराष्ट्र देश के सबसे ज्यादा कोरोना ग्रसित राज्यो में से एक है। लेकिन इसी महाराष्ट्र राज्य से एक ख़बर ऐसी निकलकर आ रही है। जो काफ़ी सुखद है। जिस दौर में विभिन्न राज्यों में कोरोना अब गांव तक पैठ बना रहा। उसी दरमियान महाराष्ट्र सूबे के भंडारा जिले के लोगों ने संयम और अनुशासन का एक अनूठा परिचय दिया है। जिसकी तारीफ़ हर तरफ़ हो रही है।
जी हां भंडारा जिले के 90 गांवों में संक्रमण का एक भी मामला नहीं है। जो अपने आप में पूरे देश को दिशा देने का काम कर रहा। भंडारा ज़िले के इन 90 गांवों में न ऑक्सीजन की मांग है और न ही रेमडेसिवर इंजेक्शन की। सबसे बड़ी बात यह है कि इन गांवों में लोग अपने रोजमर्रा के काम कर रहें हैं।
यहां जानकारी के लिए यह बता दें कि इन गांवों के लोगों ने कोरोना ने बचने के लिए कोई विशेष क़दम नहीं उठाया है। सिर्फ़ कोरोना को लेकर जो गाइडलाइंस बनाई गई उसका लोगों ने पूरी तरह पालन किया। गांव में हर शख्स के लिए मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया था। इसके अलावा गांवों को समय-समय पर सैनिटाइज किया जाता रहा। इसके अलावा जो लोग काम के लिए बाहर जाते थे उन्हे भी अलर्ट करने के साथ उन पर बराबर निगाह रखी गई। इस जवाबदेही को गांव के सभी लोगों ने समझी। जिस वज़ह से इन गांवों में कोरोना का ख़तरा कम हुआ।
इन 90 गांवों के कोरोना फ़्री होने के कारणों को लेकर जिला स्वास्थ्य अधिकारी प्रशांत उइके का कहना है कि अब यहां ज्यादा से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन कराने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए जनजागरण अभियान चल रहा है। वहीं लोगों को उम्मीद है कि इसी तरह सावधानी बरती जाएगी तो यहां आगे भी कोरोना का बुरा साया नहीं फटकेगा। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि अगर कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित महाराष्ट्र राज्य के भंडारा जैसे ज़िले में 90 गांव कोरोना की चपेट से बच सकते। फ़िर देश के अन्य राज्यों में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? मालूम हो देश में चिकित्सीय स्वास्थ्य व्यवस्था वैसे भी ऊंट के मुंह मे जीरे के समान है। ऐसे में सभी राज्य के गांवों को सुरक्षित करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के साथ स्वयं लोगों को आगे आना चाहिए।