माता पिता और 2 बच्चों के साथ खुद संक्रमित है ये डॉक्टर, फिर भी नहीं मानी हार, कर रही सबका इलाज
महिलाओं के अंदर गजब की शक्ति होती है। वे घर और जॉब दोनों को अच्छे से संभालती है। खासकर जब एक महिला मां हो तो उसकी कार्यक्षमता और भी बढ़ जाती है। इस कोरोना काल में कई माएं ऐसी भी है जो हेल्थ विभाग में होने के चलते कोरोना मरीजों की सेवा कर रही हैं। आज हम आपको बिहार के पटना की रहने वाली एक ऐसी जिंदादिल डॉक्टर से मिलाने जा रहे हैं जो अपने और पूरे परिवार के कोरोना संक्रमित होने के बावजूद कोविड-19 मरीजों की सहायता कर रही हैं।
इनसे मिलिए ये हैं डॉ सोनल सिंह। 15 दिन पहले सोनल कोरोना पॉजिटिव हो गई थी। जल्द ही उनका एक और चार साल के बच्चे भी इस वायरस की चपेट में आ गए। इसके बाद उनके माता पिता को भी कोरोना हो गया। बस उनके घर में उनके पति डॉ अखिलेश ही कोरोना नेगेटिव हैं। लगभग पूरे परिवार के संक्रमित होने के बावजूद सोनल ने हार नहीं मानी। बल्कि वह अपना और परिवार का ख्याल तो रख ही रही हैं लेकिन साथ ही कोरोना मरीजों को फोन कॉल पर गाइड भी कर रही हैं। इतना ही नहीं वे घर से हॉस्पिटल में एडमिट हुए मरीजों के अच्छे मैनेजमेंट के लिए स्टाफ को भी संभाल रही हैं।
डॉक्टर सोनल वैसे तो एक नेत्र सर्जन हैं लेकिन महामारी के इस दौर में वे कोरोना मरीजों की देखरेख भी कर रही हैं। सोनल ने अपने काम से साहस और प्रेरणा की एक मिसाल कायम की है। वे बताती हैं कि आपकी हिम्मत और जीने की चाह के आगे कोरोना घुटने टेक देता है। मैंने एक बुजुर्ग को कोरोना से ठीक होते देखा है। उसकी जीने की चाह और हिम्मत ने कोरोना को हरा दिया। मैं भी कोरोना से नहीं डरती हूँ। उसका डटकर सामना कर रही हूँ।
सोनल आगे बताती हैं कि पहले बच्चों को जब कोरोना हुआ तो मैं थोड़ी डर गई थी लेकिन अब मैं हिम्मत और समझदारी से काम कर रही हूँ। मैं अपने साथ साथ पूरे परिवार का ख्याल रख रही हूँ। वहीं समय समय पर हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों का फोन पर हालचाल भी लेती हूँ। सोनल बाकी कोरोना मरीजों को भी यही सलाह देती हैं कि आप कोरोना से डरे नहीं। कितने भी बीमार हो जाए हिम्मत नहीं हारे। आपका जज्बा ही आपको इस वायारस को हराने में मदद करेगा।
उम्मीद करते हैं कि आपको सोनल की तह स्टोरी पसंद आई होगी। यदि हाँ तो इसे दूसरों के साथ शेयर करना न भूलें। इस तरह बाकी कोविड-19 मरीजों को भी मदद मिल सकेगी।