जल्द ही 2-DG से किया जाएग कोरोना के मरीजों का इलाज, इस तरह से ये दवा करती है काम
इस समय देश में कोरोना की दूसरी लहर आ रखी है। जिसकी चपेट में रोजाना लाखों लोग आ रहे है। कोरोना की दूसरी लहर काफी तेजी से फैली है, जिसके कारण एकदम से मरीजों की संख्या में उछाल आया है। देश की अस्पताल व्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ा है और कई मरीजों का इलाज तक नहीं हो पा रहा है। दरअसल लगभग सभी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के बेड भर गए हैं। साथ में ही कई जगह तो ऑक्सीजन की कमी भी हो रही है। हालांकि इसी बीच एक अच्छी खबर भी आई है। सरकार ने DRDO की तरफ से विकसित एंटी कोरोना ड्रग्स 2 DG को हरी झंड़ी दिखा दी है।
DCGI यानी डायरेक्टर कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने हाल ही में कोरोना के इलाज के लिए इस दवा के इस्तेमाल को अनुमति दे दी है। ये दवा कोरोना के इलाज में बेहद ही कारगर मानी गई है। 2 DG ड्रग्स के प्रोजेक्ट डायरेक्टर वैज्ञानिक डॉ. सुधीर चांदना के अनुसार ये एंटी कोरोना ड्रग्स 2 DG है। इस दवाई को बनाने का काम अप्रैल 2020 में शुरू किया गया था। मई 2020 से फेज-2 ट्रायल शुरु हुआ था जो कि अक्टूबर 2020 तक चला था। इस दवाई का ट्रायल काफी अच्छा साबित हुआ था और जिन मरीजों को ये दवा दी गई थी वो जल्द ही सही हो गए थे।
#DCGI gives emergency approval to anti #COVID19 oral drug developed by @DRDO_India, 2-deoxy-D-glucose (2-DG) helps in faster recovery of hospitalized patients and reduces supplemental #oxygen dependence#COVID19India #Unite2FightCorona #IndiaFightsCOVID19 pic.twitter.com/bgBXDX6KMb
— DD News (@DDNewslive) May 9, 2021
इस दवा का तीसरा फेज नवंबर से मार्च, 2021 तक चला था। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु्, गुजरात और महाराष्ट्र के 27 अस्पतालों में इसका क्लीनिकल ट्रायल हुआ। इसमें पाया गया कि 2-डीजी दवा लेने वाले मरीज कोरोना की तय मानक दवाओं के सेवन वाले मरीजों के मुकाबले ज्यादा तेजी से रिकवर हुए। इस दवाई की मदद से वायरस की ग्रोथ सेल के अंदर पूरी तरह से रुक जाती है। वहीं इस दवा की खास बात ये है कि इसकी प्रयोग से ऑक्सीजन की कमी नहीं होता है।
ये मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता को भी काफी कम करती है। 2डीजी दवा से मरीज की रिकवरी भी जल्दी होती है। डीआरडीओ के अनुसार, ये दवा कोरोना संक्रमण से जूझ रहे मरीजों के लिए बेहद लाभदायक होगी। ये दवा कोरोना के मध्यम और गंभीर मरीजों को अस्पताल में इलाज के दौरान दी जा सकती है।
डीआरडीओ के अनुसार ये दवा एक पाउडर के रूप में सैशे में आती है। जिसे पानी में घोलकर दिया जा सकता है। डीआरडीओ की रिसर्च लैब इंस्टीट्यूट आफ न्यूक्लियर एंड एलायड साइंसेज (इनमास) में डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज, हैदराबाद के सहयोग से विकसित इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल सफल रहा है। ये वायरस से प्रभावित सेल्स में जाकर जम जाती है और वायरस सिंथेसिस व एनर्जी प्रोडक्शन को रोककर वायरस को बढ़ने से रोकती है।
उम्मीद की जा रही है कि ये दवा एक महीने में मरीजों को मिलने लग जाएगी। ये दवा एक पाउडर के रूप में आती है। ऐसे में ये अधिक मात्रा में आसानी से बनाई जा सकती है।