अध्यात्म

बद्रीनाथ धाम पाने के लिए विष्णु ने किया था यह काम, बालक रूप धारण कर शिव से लिया था ये स्थान

बद्रीनाथ धाम को श्रीहरि विष्णु का स्थान माना गया है। शास्त्रों के अनुसार श्रीहरि विष्णु इस जगह पर आकर विश्राम करते हैं। हालांकि श्रीहरि विष्णु से पहले बद्रीनाथ धाम भगवान शिव और पार्वती मां का विश्राम स्थान हुआ करता था। कथा के अनुसार श्रीहरि विष्णु ने धोखे से भगवान शिव और पार्वती से ये धाम हासिल कर लिया था। जिसके बाद भगवान शिव और पार्वती मां ये धाम छोड़कर केदारनाथ धाम चले गए थे और इस जगह को अपना विश्राम स्थान बना लिया था। आइए जानते हैं कि कैसे श्रीहरि विष्णु ने भगवान शिव और पार्वती मां से ये धाम हासिल किया था।

इस प्रकार है कथा

कथा के अनुसार बद्रीनाथ में भगवान शिव और पार्वती मां रहते थे। एक बार धरती पर आकर श्रीहरि विष्णु अपने लिए निवास स्थान की खोज करने लगे। इस दौरान वो इस जगह पर आए। श्रीहरि विष्णु को ये जगह इतनी पसंद आई की उन्होंने इसे अपना निवास स्थान बनाने की ठान ली। श्रीहरि विष्णु इस सोच में पड़ गए की वो कैसे भगवान शिव और पार्वती से ये स्थान हासिल करेंगे।

ये स्थान हासिल करने के लिए श्रीहरि विष्णु ने एक योजना बनाई और बालक का रूप धारण कर लिया। भगवान शिव और पार्वती मां जब अपने घर लौटो तो श्रीहरि विष्णु बालकर के रूप में उनके घर के बाहर मिले। बालक को देख मां पार्वती की ममता जाग गई और उन्होंने शिव जी से कहा कि वो बालक को गोदी में लेना चाहती हैं और उसे अपना प्यार देना चाहती हैं। भगवान शिव को बालक पर शक हुआ और उन्होंने मां पार्वती से कहा कि वो बालक को गोद में न लें। लेकिन बालक को रोता हुआ देख मां पार्वती से रूका नहीं गया और उन्होंने बिना कोई दरी किए उसे गोद में उठा लिया।

अपने निवास स्थान के अंदर ले जाकर बालक को दूध भी पिलाया और सुला दिया। इसके बाद भगवान शिव और मां पार्वती स्नान करने के लिए एक नदी के किनारे चले गए। वहीं जब ये वापस अपने निवास स्थान आए। तो इनके घर का दरवाजा नहीं खुला। मां पार्वती ने शिव जी से इसका कारण पूछा। तो उन्होंने बताया कि श्रीहरि विष्णु ही बालक का रूप धारण करके आए थे और अब उन्होंने अंदर से दरवाजा बन कर दिया है। जिसके साथ ही ये निवास स्थान उनका हो गया है। अब हमें किसी ओर जगह जाकर रहना होगा।

वहीं अंदर से भगवान विष्णु ने कहा कि ये स्थान मुझे बहुत पसंद आ गया है। मुझे यहीं विश्राम करने दी‍जिए। अब आप यहां से केदारनाथ जाएं। जिसके बाद शिव जी और पार्वती मां केदानाथ चले गए और इसे अपना निवास स्थान बना लिया। मान्यता है कि तभी बद्रीनाथ विष्णु जी का और केदानाथ शिव व पार्वती का निवास स्थान बन गया। ये देवी- देवता इन जगहों पर रहते हैं।

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