शनिश्चरा मंदिर में आकर भक्त लगाते हैं शनि देव को गले, शनि दोष हो जाता है दूर
भगवान शनि देव के कई चमत्कारिक पीठ देश के अलग-अलग कोनों में स्थिति हैं। हर वर्ष यहां दूर-दूर से भक्त आते हैं और शनि देव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि महाराष्ट्र के शिंगणापुर में शनि देव का जन्म हुआ था और इस गांव में शनि देव का भव्य मंदिर बनाया गया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कोशी में सिद्ध शनि देव का मंदिर है, जो कि कोशी से छह किलोमीटर दूर कौकिला वन में स्थित है। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में भी शनि देव का प्रसिद्ध मंदिर है। जिसे शनिश्चरा मन्दिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर से रामायण काल की कथा जुड़ी हुई है। जो कि इस प्रकार है।
शनिश्चरा मंदिर से जुड़ी कथा के अनुसार त्रेतायुग में यहां हनुमान जी के द्वारा लंका से फेंका हुआ अलौकिक शनि देव का पिण्ड है। जिसकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि शनि सिद्धपीठ पर जाकर जो लोग शनि की पूजा करते हैं। शनि देव उनको दण्ड से बचाते हैं।
कहा जाता है श्री शनिदेव को रावण ने कैद कर लिया था और उल्टा लटका दिया था। हनुमान जी जब लंका पहुंचे तो उन्हें पता चला कि शनिदेव की उपस्थिति के कारण रावण की हानि नहीं हो पा रही है। जिसके चलते उन्होंने शनिदेव को रावण के बंधन से मुक्त करा दिया। लेकिन घायल होने के कारण शनिदेव अपनी कक्षा में स्थापित नहीं हो सकते थे। तब शनिदेव ने श्री हनुमानजी से आग्रह किया कि वो किसी ऐसे स्थान पर उन्हें स्थापित कर दें। जहां से लंका दिखाई देती हो। ताकि वो अपनी दृष्टि उसपर डाल सकें। तब हनुमानजी ने शनि देव को इस पहाड़ी पर स्थापित किया। यहां से शनिदेव ने रावण पर दृष्टि डाली और हनुमान ने लंका में आग लगा दी। कहा जाता है कि शनिदेव तभी से यहीं विराजमान हैं। शनिश्चरा स्थित श्री शनि देव मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने शुरू करवाया था। जबकि सिंधिया शासकों द्वारा इसका जीर्णोद्धार कराया गया।
लगाया जाता है शनिदेव को गले
जिन लोगों की कुंडली में शनि देव का बुरा प्रभाव है। वो लोग भी यहां आकर पूजा करते हैं। यहां पर दान पुण्य, पूजा-पाठ व हवन यज्ञ व भंडारा करके पुण्य की प्राप्ति होती है और शनि देव के प्रकोप से रक्षा होती है। कहा जाता है कि जो भी लोग शनिदेव की पीड़ा से ग्रस्त होते हैं वो यहां आकर तेल चढ़ाते हैं। उसके बाद उनसे गले मिलते है।
साथ में ही अपने पहने हुए कपड़े, चप्पल, जूते आदि यहीं छोड़कर घर चले जाते हैं। ऐसा करने से पाप और दरिद्रता से छुटकारा मिल जाता है। साथ ही शनिदेव से रक्षा होती है।
लगता है मेला
शनिशचरी अमावस्या के दिन इस मंदिर में मेला लगता है और इस दौरान लाखों श्रद्धालु यहां पर आते हैं। ग्वालियर में स्थित इस मंदिर में भिण्ड, मुरैना, दतिया, झांसी, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर सहित मध्यप्रदेश के कोने-कोने से भक्त आते हैं और शनिदेव का पूजन करते हैं।
कैसे जाएं
शनिश्चरा मंदिर पूरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध है। ये मुरैना जिले में स्थित है। जो कि ग्वालियर से मात्र 18 किलोमीटर दूरी है। ऐंती पर्वत पर स्थित ये मंदिर प्राचीन काल के समय से बना हुआ है। यहां जाने के लिए आपको ग्वालियर से बस व कार आसानी से मिल जाएगी। वहीं मंदिर के पास ही धर्मशाला भी बनाई गई हैं। जहां पर आप रुक सकते हैं। हालांकि शनिवार के दिन यहां पर खास भीड़ होती है। इसलिए आप पहले से अपने लिए यहां कमरा बुक करवा लें।