कोरोना काल में मृतक का संस्कार कार्य ठीक से ना होने पर करे ये काम, आत्मा को मिलेगी शांति
भारत इस समय पूरी दुनिया में सबसे अधिक कोरोना वायरस की मार झेल रहा है। अब एक दिन में चार लाख कोरोना पॉजिटिव केस सामने आने लगे हैं। वहीं प्रति दिन मौत का आकड़ा भी तीन हजार से ऊपर चला गया है। कई लोग इस वायरस के आगे अपनी जान गवा रहे हैं। कोरोना काल में मरने का एक नुकसान ये भी है कि परिजन आपका अंतिम संस्कार भी ठीक से नहीं कर पाते हैं।
लॉकडाउन और कोरोना की सिचूऐशन को देखते हुए आत्मा की शांति हेतु पंडित भी टाइम पर नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में अपने मृत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए आप कुछ खास काम कर सकते हैं।
1. परिजन के मरने के बाद 13 दिनों तक रोजाना दक्षिण दिशा में तिल के तेल का दीपक जलाएं।
2. परिजन की मृत्यु के बाद 13 दिनों तक रोज कुतपकाल यानि दोपहर 11:35 से 12:35 के मध्य गाय को रोटी, शाक, हरा चारा खिलाएं। इससे श्राद्ध की पूर्णता हो जाएगी।
3. हिन्दू धर्म के रीति रिवाजों की माने तो मृतक के मरने के 10वें दिन तक दशाकर्म होता है। इस दौरान नदी के तट पर पिंडदान, श्राद्ध इत्यादि किया जाता है। परंतु कोरोना काल में आप ऐसा न कर पाएं तो किसी भी ब्राह्मण को अपने घर आमंत्रित कर उसके मार्गदर्शन में पूजा-पाठ की जा सकती है।
4. यदि ऊपर बताया उपाय भी संभव न हो तो एक और काम किया जा सकता है। कुतपकाल में खुले आसमान के नीचे जाएं और प्रार्थना करें- हे प्रियजन! विपरीत परिस्थिति के चलते मैं आपका उत्तर कार्य नहीं कर पा रहा हूँ। परंतु मेरे मन में आपके लिए निमित्त श्रद्धा व भक्ति है। मैं इसी के मध्यम से आपको संतुष्ट करना चाहता हूं। कृपया मेरी श्रद्धा व भक्ति से तृप्त हो जाइए। बता दें कि यह उपाट विष्णु पुराण में भी बताया गया है।
5. अपने परिजन की मृत्यु के 13वें दिन गरीब को भोजन कराएं और कपड़ों का दान करें। आप किसी ब्राह्मण को भी भोजन खिला सकते हैं। यदि कोरोना काल में ये संभव न हो तो उस ब्राह्मण के घर कच्चा भोजन जैसे आटा, दाल, चावल, घी इत्यादि चीजें भिजवाई जा सकती है।
6. जब कोरोना काल समाप्त हो जाए, यानि उचित समय आए तब मृतक की मृत्यु के तीन वर्ष के अंदर नारायण बलि कर्म करवाएं। इससे मृतक की आत्मा को शांति प्राप्त होगी। साथ ही सभी प्रकार के दोष भी खत्म हो जाएंगे।
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