इन 7 तरह के लोगों को नहीं लेना चाहिए कोरोना की वैक्सीन, जानिए आखिर क्या है वजह
कोरोना वायरस की महामारी देशभर में काफी तेजी से अपना पैर पसार रही है। मौजूदा समय में वायरस देश के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। अब तक लाखों लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं और कई लोगों की तो जान भी जा चुकी है। वायरस के बढ़ते गंभीर मामलों को देखते हुए भारत सरकार भी सख्त से सख्त कदम उठाने को तैयार है। इसी बीच भारत सरकार ने अपनी वैक्सीनेशन मुहिम भी तेज कर दी है।
आपको बता दें कि 1 मई 2021 से जिन लोगों की उम्र 18 वर्ष से ऊपर है, उनको कोरोना की वैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी। वैसे देखा जाए तो देश के बहुत से लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर तरह-तरह की शंका और डर बना हुआ है जिसकी वजह से अब तक वैक्सीन लगाने के बाद भी बहुत से लोगों में साइड इफेक्ट देखने को मिले हैं। इतना ही नहीं बल्कि कुछ लोगों की तो जान भी चली गई है।
आज हम आपको इस लेख के माध्यम से इस बारे में बताएंगे कि आखिर किन लोगों को कोरोना की वैक्सीन नहीं लगानी चाहिए और इसका कारण क्या है? तो चलिए जानते हैं विस्तार पूर्वक….
ना करें वैक्सीन की डोज को इंटरचेंज
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मौजूदा समय में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) और सिरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड (Covishield) यह दोनों इस्तेमाल हो रहे हैं। भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कुछ जरूरी दिशानिर्देश जारी किए गए हैं और इसमें यह बताया गया है कि किन लोगों को यह वैक्सीन लेने से बचना होगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बात की जानकारी भी बताई है कि वैक्सीन की पहली और दूसरी दोनों ही डोज सेम वैक्सीन की होनी चाहिए। इसका मतलब यह है कि वैक्सीन की डोज में इंटरचेंज नहीं किया जा सकता।
मान लीजिए अगर किसी ने कोविशील्ड की वैक्सीन पहले ली है तो दूसरी बार भी कोविशील्ड की वैक्सीन ही लेनी होगी। इसी प्रकार कोवैक्सीन वैक्सीन की पहली डोज ली है तो दूसरी बार भी सेम वैक्सीन की डोज होनी चाहिए।
यहां जानिए किन लोगों को नहीं लेनी चाहिए कोरोना की वैक्सीन
- सबसे पहले आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन लोगों की उम्र 18 से कम है वह यह वैक्सीन ना लें।
- अगर कोई महिला गर्भवती है और बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को कोरोना की वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए। इसकी वजह यह है कि अभी तक गर्भवती और ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं को वैक्सीन ट्रायल में शामिल नहीं किया गया है। इसी वजह से गर्भवती महिलाओं पर वैक्सीन का क्या प्रभाव हो सकता है? इस बात की स्पष्ट जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई है।
- अगर किसी व्यक्ति में कोविड-19 के एक्टिव लक्षण नजर आ रहे हैं, उन्हें भी संक्रमण से पूरी तरह से उबरने में 4 से 8 हफ्ते बाद ही वैक्सीन लेना चाहिए।
- यदि ट्रायल में शामिल किसी भी व्यक्ति को कोविड-19 वैक्सीन के कारण किसी भी प्रकार की एलर्जी हुई हो या फिर पहले डोज के पश्चात किसी व्यक्ति को कोई एलर्जिक रिएक्शन नजर आए हो तो ऐसे व्यक्तियों को वैक्सीन लेने से बचना होगा।
- जिन लोगों को बुखार, ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स यानी कि खून से संबंधित किसी भी प्रकार की बीमारी है या फिर अगर कोई मरीज रक्त को पतला करने की दवाई का सेवन कर रहा है तो वह कोरोना की वैक्सीन ना लें।
- अगर किसी व्यक्ति को लो प्लेटलेट्स की बीमारी है या फिर जिन लोगों का इम्यून सिस्टम बहुत ज्यादा कमजोर है और इसके लिए वह दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो उनको फिलहाल में कोरोना वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए।
- अगर किसी कोरोना पीड़ित मरीज का इलाज प्लाजमा थेरेपी या फिर एंटीबॉडीज की सहायता से किया जा रहा है तो उनको कोरोना वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए। ऐसे मरीजों को रिकवर होने में 4 से 8 हफ्ते लग जाते हैं। उसके बाद ही यह कोरोना वैक्सीन ले सकते हैं।
आपको बता दें कि हेल्थ एक्सपर्ट्स की ऐसी सलाह है कि अगर कोई भी व्यक्ति वैक्सीन ले रहे हैं तो इससे पहले अपने डॉक्टर से इस विषय में विचार विमर्श कर लेना ही उचित होगा। मान लीजिए अगर किसी को बुखार, एलर्जी, किसी प्रकार की गंभीर बीमारी है तो ऐसी स्थिति में वैक्सीन लेनी चाहिए या नहीं? इस बारे में डॉक्टर से बात जरूर करनी चाहिए। वैक्सीन लेने के पश्चात इंजेक्शन वाले स्थान पर दर्द, हल्का बुखार, बदन में दर्द, सिर दर्द, थकान जैसे साइड इफेक्ट सामान्य तौर पर नजर आ सकते हैं।