श्मशान घाट में चिता पर लेटते ही हिलने लगे महिला के हाथ-पैर, फिर जो हुआ वह किसी ने नहीं सोचा था
यूं तो हम सभी डॉक्टरों को भगवान का दर्जा देते हैं, लेकिन कई बार इनकी लापरवाही भी सामने आती है। अब छत्तीसगढ़ के कुशालपुर का यह चौकाने वाला मामला ही ले लीजिए। यहां एक महिला उल्टी दस्त की शिकायत के बाद हॉस्पिटल में एडमिट हुई थी। उसका चेकअप करने के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। ऐसे में परिजन महिला का अंतिम संस्कार करने चले गए। लेकिन चिता पर जाते ही महिला के हाथ पैर हिलने लगे। इसके बाद उसे वापस हॉस्पिटल ले जाया गया। हालांकि वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
मृति महिला का नाम लक्ष्मीबाई अग्रवाल बताया जा रहा है। उनकी उम्र 72 वर्ष थी। बुधवार को उन्हें उल्टी और दस्त हो रहे थे। ऐसे में परिजन महिला को आंबेडकर अस्पताल ले गए थे। यहां वह दो घंटे एडमिट रही और फिर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद महिला के अंतिम संस्कार की तैयारी होने लगी। उसके शव को श्मशान घाट ले जाया गया। यहां लाश को जैसे ही चिता पर जलाने के लिए रखा गया तो उसमें कुछ हरकत हुई। महिला के हाथ पैर हिलने लगे। यह देख हर कोई हैरान रह गया।
परिजनों ने तुरंत वहां प्राइवेट डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर ने महिला की पल्स चेक की तो वह चल रही थी। इसके बाद महिला को एम्बुलेंस बुलवाकर वापस हॉस्पिटल में एडमिट किया गया। हालांकि यहां अस्पताल में महिला की मौत हो गई। महिला के नातिन नीरज जैन बताते हैं कि अस्पताल की लापरवाही की वजह से मेरी नानी की जान गई है। उन्हें अस्पताल से श्मशान घाट ले जाने और फिर वापस लाने में 3 घंटे बर्बाद हुए। यदि डॉक्टर पहले उन्हें गलती से मृत घोषित नहीं करते और उनका इलाज करते तो मेरी नानी की जान बच सकती थी।
इस पूरे मामले से मृत महिला के परिजन बहुत दुखी हैं। उनका कहना है कि अस्पताल की एक लापरवाही से महिला की जान चली गई। उधर सोशल मीडिया पर जब ये घटना सामने आई तो लोगों ने भी अस्पताल की निंदा की। बताते चलें कि यह कोई पहली बार नहीं है जब डॉक्टरों द्वारा व्यक्ति को मृत घोषित करने के बाद भी वह जिंदा हो गया। इसके पहले भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं।
वैसे इस पूरे मामले पर आपकी क्या राय है हमे कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं। साथ ही ये खबर अच्छी लगी हो तो इसे दूसरों के साथ शेयर करना न भूलें। इस तरह बाकी लोग भी ऐसे केस के प्रति जागरूक हो सकेंगे।