अध्यात्म

बृहदेश्वर मंदिर: 1,30,000 टन ग्रेनाइट से बना है यह मंदिर, ये ग्रेनाइट कहां से आया, आज तक है रहस्य

तमिलनाडु के तंजोर जिले में स्थित बृहदेश्वर मंदिर भगवान शिव की समर्पित है। ये मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल है और हर साल लाखों की संख्या में लोग ये मंदिर देखने के लिए आते हैं। बृहदेश्वर मंदिर प्राचीन वास्तु कला का एक अद्भुत नमूना है। कहा जाता है कि इस मंदिर को बनाने के लिए पूरी तरह से ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया गया है और ये दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है। जिसे ग्रेनाइट से बनाया गया है।

1003-1010 ईसवी के बीच चोल शासक प्रथम राजराज चोल ने इसका निर्माण करवाया था। जिसके कारण इसे राजराजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर को पूरी तरह से बनने में पांच वर्षों का समय लगा था। मंदिर बनाने से जुड़ी कथा के अनुसार राजराज प्रथम शिव के परम भक्त हुआ करते थे और राज्य में सृमद्धि बनीं रहे इसलिए इन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

एक कथा के अनुसार बृहदेश्वर मंदिर में नियमित रूप से जलने वाले दीयों के घी की पूरी आपूर्ति के लिए सम्राट राजराज ने मंदिर में 4000 गायें, 7000 बकरियां, 30 भैंसें व 2500 एकड़ जमीन दान की थी। इस मंदिर के साथ एक रहस्य भी जुड़ा हुआ है। दरअसल इसे बनाने के लिए 1,30,000 टन ग्रेनाइट का प्रयोग किया गया है। ये ग्रेनाइट कहां से आया, ये आज तक रहस्य ही है। मंदिर के शिखर तक 80 टन वजनी पत्थर कैसे ले जाया गया। ये आज भी एक सवाल है। क्योंकि उस दौर में इतनी मशीन नहीं हुआ करती थी।

मंदिर की खासियत

240.90 मीटर लंबा और 122 मीटर चौड़ा ये मंदिर विशाल गुम्बद के आकार में। इसको ग्रेनाइट के एक शिला खण्ड में रखा गया है। इसका घेरा 7.8 मीटर और वजन 80 टन है।

मुख्य मंदिर के अंदर 12 फीट ऊँचा शिवलिंग स्थापित है। मंदिर के चबूतरे पर 6 मीटर लंबी और 2.6 मीटर चौड़ी व 3.7 मीटर लंबी नंदी की प्रतिमा भी उकेरी गई।  इस मंदिर में नंदी बैल की भी विशालकाय प्रतिमा स्‍थापित की गई है। जिसे एक ही पत्‍थर में से काटकर बनाया गया है। इसकी ऊंचाई 13 फीट है।

दूर-दूर से आते हैं लोग

भगवान शिव के इस भव्य मंदिर को देखने के लिए यहां पर दूर-दूर से लोग आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में आकर शिव के दर्शन करने से हर कामना पूर्ण हो जाती है। वहीं सोमवार को यहां पर कई विशेष पूजाओं का आयोजन भी किया जाता है। इस भव्य मंदिर की देख रेख के लिए 200 के करीब कर्मचारी रख गए हैं। भरतीय रिजर्व बैंक ने 1 अप्रैल 1954 में एक हजार के नोट जारी किए थे। जिस पर बृहदेश्वर मंदिर की तस्वीर छापी गई थी।

जीवन में आप एक बार इस मंदिर में जरूर जाएं। रेल, सड़क व वायु मार्ग के जरिए आसानी से यहां जाया जा सकता है। वहीं मंदिर के पास ही कई सारी धर्मशालाएं हैं। जहां पर आप रुक सकते हैं।

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