कल के दिन करें ये काम, शत्रुओं पर विजय पाने में मिलेगी मदद साथ में बढ़ेगा आपका बल!
हिन्दू धर्म शास्त्र और पुराण भगवान की महिमा से भरे हुए हैं। पुराणों में बताया गया है कि भगवान अपने भक्त की रक्षा करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। भगवान नृसिंह ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने और हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए अवतार लिया था। भगवान वैशाख महीने की शुल्क पक्ष की चतुर्दशी को पृथ्वी पर अवतरित हुए थे।
आधे इंसान और आधे शेर थे भगवान नृसिंह:
इसी वजह से इस दिन भगवान नृसिंह की जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान के बुत से भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए उपवास रखते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि नृसिंह भगवान विष्णु के अवतार थे। भगवान नृसिंह का आधा शरीर इंसान तथा आधा शरीर शेर का था। इस व्रत में भगवान के इसी रूप की पूजा की जाती है।
विष्णुसहत्रनाम का पाठ करना होता है शुभ:
इस दिन सुबह उठकर नृत्य कर्म करने के बाद स्नान आदि करके भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की विधिवत पूजा की जाती है। इस दिन विष्णुसहत्रनाम का पाठ करें। सुबह सूर्य देवता को तांबे के पात्र में जल भरकर व्रत रखने से पूर्व इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
मंत्र:
‘‘ओम विष्णु: विष्णु: विष्णु:- नृसिंह देवदेवेश तव जन्मदिने शुभे उपवास करिष्यामी सर्वभोगवर्जित:’’
निराजल रहकर किया जाता है यह व्रत:
इस व्रत को निराजल रहकर किया जाता है। शाम के समय भगवान नृसिंह का दूध, दही, गंगाजल, चीनी गाय का घी या मक्खन से अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद चरणामृत लेकर फलाहार करना चाहिए। इस व्रत में सूर्यास्त काल का काफी महत्व होता है, क्योंकि भगवान नृसिंह का अवतार शाम के समय ही हुआ था।
इस व्रत के करने से मनुष्य की सभी मनोकामना पूर्ण होती है साथ ही मनुष्य के तेज एवं बल में भी वृद्धि होती है। ऐसा करने से भक्त प्रभु का चहेता बन जाता है। भगवान नृसिंह उसकी हर समय रक्षा करते हैं। उसके जीवन से सभी दुःख दूर हो जाते हैं। शत्रुओं पर विजय पाने के लिए भी यह व्रत उत्तम माना जाता है। इस दिन व्रत करने से प्राणी को विशेष फल की प्राप्ति होती है।