बेहद चमत्कारिक है देवी मां का ये दरबार, दर्शन मात्र से नेत्रों की बीमारियां हो जाती हैं दूर
हमारा देश धार्मिक देशों में से एक माना जाता है। हमारे देश में बहुत से मंदिर हैं, जो अपनी किसी ना किसी विशेषता और चमत्कार के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की उपासना की जाती है। नवरत्रि के नौ दिनों तक भक्त माता रानी के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा अर्चना करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। नवरात्रि के खास पर्व के मौके पर आज हम आपको देवी मां के एक ऐसे चमत्कारिक मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो अपनी खासियत के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
आज हम आपको देवी मां के एक ऐसे शक्तिपीठ के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जो दुनिया भर के लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। देवी मां का यह शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश में स्थित है, जिसे नैना देवी मंदिर शक्तिपीठ के नाम से लोग जानते हैं। यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। शक्तिपीठ श्रीनयना देवी हिमाचल ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी प्रसिद्ध है। दूर-दूर से लोग माता रानी के इस दरार में दरबार में दर्शन करने के लिए आते हैं।
आपको बता दें कि नैना देवी का यह चमत्कारिक मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि यहां पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर आंखों की बीमारियां दूर हो जाती हैं। जी हां, लोगों की ऐसी आस्था है कि यहां पर जो व्यक्ति पहुंचता है उसकी आंखों से संबंधित सभी प्रकार की बीमारियां माता रानी की कृपा से दूर हो जाती हैं। इस मंदिर में सती के शक्ति रूप की भक्त पूजा करते हैं।
हिमाचल प्रदेश में स्थित नैना देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और इस स्थान पर माँ सती के अंग पृथ्वी पर गिरे थे। इस मंदिर में दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं। इस मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट श्रद्धा आज से नहीं बल्कि पौराणिक काल से ही है। इस मंदिर में भक्त अपनी मन्नत मांगते हैं और ऐसा माना जाता है कि माता रानी की कृपा से भक्तों की सारी मन्नते पूरी हो जाती हैं। वैसे तो इस मंदिर में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है परंतु नवरात्रि के दिनों में श्रद्धालुओं का सैलाब यहां पर उमड़ता है।
देवी मां के इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां पर दर्शन मात्र से ही नेत्र से जुड़ी हुई सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। अगर आप नैना देवी मंदिर के दर्शन करने जाएंगे तो आपको मंदिर के अंदर नैना देवी मां की दो नेत्र बने हुए नजर आएंगे और मंदिर के अंदर नैना देवी के साथ भगवान गणेश जी और मां काली जी की भी मूर्तियां भी हैं। नैना देवी मंदिर नैनीताल स्थित नैनी झील के उत्तरी किनारे पर बना हुआ है जो बहुत प्राचीन है। देवी माता का यह मंदिर शक्तिपीठ में शामिल है और यहां पर देवी का चमत्कार देखने को मिलता है। यहां नैना देवी को देवी पार्वती का रूप भी माना जाता है और इसी वजह से उन्हें नंदा देवी भी कहा जाता है।
इस शक्तिपीठ के बारे में एक कथा बहुत अधिक प्रचलित है। एक बार माता सती के पिता प्रजापति दक्ष ने बड़ा यज्ञ करवाया था परंतु उसमे माता सती और उनके पति भगवान शिव जी को नहीं बुलाया था। इसके बावजूद भी माता सती यज्ञ में पहुंच गईं। तब राजा दक्ष ने माता सती के सामने ही उनके पति शिव जी को खूब अपमानित किया, जिसको माता सती बर्दाश्त नहीं कर पाईं और उन्होंने हवन कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग त्याग दिए। जब इसकी सूचना भगवान शिव जी को चली तो उनको बहुत अधिक क्रोध आया और गुस्से में आकर उन्होंने रौद्र रूप धारण करके तांडव करने लगे। चारों तरफ हाहाकार मच गया और सती के शव को लेकर भगवान शिव जी घूमने लगे थे।
भगवान शिव जी का यह रूप देख कर सारे देवता बहुत ज्यादा परेशान हो गए। तब सभी देवतागण चिंतित होकर भगवान विष्णु जी से भगवान शिव जी को शांत कराने की प्रार्थना करने लगे। तब भगवान विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए। जिस-जिस स्थान पर यह टुकड़े गिरे थे। उसे शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। इन्हीं में से 2 शक्तिपीठ हिमाचल के बिलासपुर और उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित है। इस स्थान पर माता सती के नयन गिरे थे। इसलिए इसे नैना देवी मंदिर कहा जाता है।