बेटे की आत्महत्या के बाद गहरे सदमे में चला गया यह हैंडसम विलेन, अब फिल्मों में भी आना कर दिया बंद
कबीर बेदी (Kabir Bedi) ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में मुख्य विलेन का किरदार निभाया हैं. उन्होंने कई यादगार किरदार निभाए हैं. हाल ही में कबीर बेदी ने सलमान खान (Salman Khan) की मौजूदगी में अपनी बायोग्राफी स्टोरीज आई मस्ट टेल: द इमोशनल लाइफ ऑफ द एक्टर लॉन्च की हैं. इसमें उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़े कई बड़े खुलासे किए है.
कबीर बेदी ने अपनी इस बुक को पिछले साल लॉकडाउन के समय में लिखा था. इसी दौरान अपने दिए गए एक इंटरव्यू में कबीर बेदी ने अपने बेटे की मौत को लेकर भी बहुत कुछ कहा हैं. कबीर बेदी ने बताया कि, वो जानते थे कि उनका बेटा सिद्धार्थ सुसाइड करने वाला है लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी वो उसे बचाने में कामयाब नहीं हो सके. इसी बात का मलाल उन्हें आज भी हैं और इसका दर्द उन्हें चुभता हैं. गौरतलब हैं कि सिद्धार्थ 25 साल की उम्र में सीजोफ्रेनिया का शिकार हो गए थे.
एक्टर ने बताया कि उनका बेटा काफी होशियार और समझदार लड़का था. उसके अंदर कई योग्ताएं थी. लेकिन इसी बीच उसका अचानक सभी तरह से सोचना बंद हो गया. हमने कई कोशिशे की लेकिन समझ नहीं पाए की उसे क्या हुआ है. कबीर बेदी ने बताया कि लगभग तीन सालों तक हम उसकी इस अनजान बीमारी से लड़ते रहे. एक बार वो अचानक मॉट्रियल (कनाडा) की सड़कों पर हिंसक हो गया. इसके बाद उसे 8 पुलिसवालों ने मिलकर काबू किया.
उसके बाद डॉक्टर्स ने हमें बताया कि सिद्धार्थ सीजोफ्रेनिया (Schizophrenia) नाम की बीमारी से लड़ रहा हैं. कबीर के मुताबिक उनके परिवार ने कई कोशिशे की कि उनका बेटा इस बीमारी से बाहर निकल सके, लेकिन आखिर में वह उसे नहीं बचा सकें. उन्होंने सिद्धार्थ का कई बड़े हॉस्पिटल में इलाज़ भी करवाया लेकिन उसे कुछ फर्क नहीं हुआ. गौतरतलब हैं कि सिद्धार्थ ने 25 साल की उम्र में खुदकुशी कर ली थी.
एक बार एक अन्य इंटरव्यू में कबीर बेदी ने बताया था कि, सिद्धार्थ ने इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नॉलजी में ऑनर्स किया हुआ था. इसके बाद वह मास्टर डिग्री की पढ़ाई करने के लिए कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी में गए थे. इसी दौरान उसकी जिंदगी बदली थी. पढ़ाई के दौरान पता चला कि वह डिप्रेशन में है. उसका तनाव हद पार कर गया और आखिर में यह सीजोफ्रेनिया जैसी गंभीर बीमारी में तब्दील हो गया.
कबीर बेदी ने बताया कि, हमने रोज़ाना उसे मोटीवेट करने की कोशिश की लेकिन समय के साथ-साथ वह भी ज्यादा तनाव में जाता गया. उसी ने अपनी बीमारी के बारे में काफी कुछ पढ़ लिया था. एक दिन मुझ से आकर उसे कहा कि वह आत्महत्या करना चाहता हैं. उसके मुँह से ये बात सुनकर मेरे होश उड़ गए थे. मैंने उसे बहुत रोका और समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माना. कबीर बेदी ने कहा, मैं उसका मेल देखकर चौक गया था, उसके अपने दोस्तों को लिखा कि मुझे फेयरवेल देने आ जाओ.
कबीर बेदी ने 1971 में आई फिल्म ‘हलचल’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इसके अलावा उन्होंने ‘कच्चे धागे’, ‘मां बहन और बीवी’, ‘नागिन’, ‘डाकू’, ‘अशांति’, ‘खून भरी मांग’, ‘दिल आशना है’, ‘यलगार’, ‘दिलवाले’, ‘पुलिस पब्लिक’, ‘कुर्बान’, ‘मोहनजो दाड़ो’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया है.