पीएम मोदी ने 2 साल में पूरा किया वादा, पडोसी देशों को दिया ये आसमानी गिफ्ट!
श्रीहरिकोटा से इसरो ने GSAT-9 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. इस सैटेलाइट का फायदा भारत के 7 पडोसी देशों को भी मिलेगा. इसे दक्षेस सैटेलाइट या सार्क सैटेलाइट के नाम से जाना जायेगा. यह एक आसमानी गिफ्ट है जो भारत ने सभी सार्क देशों को दिया है, हालांकि कुछ सार्क देश इसका लाभ नहीं लेना चाहते. इसका फायदा भारत के 7 पडोसी देशों को मिलेगा.
भारत के 7 पडोसी देशों को मिलेगा फायदा :
पीएम मोदी ने लॉन्चिंग के बाद 6 दक्षिण एशियाई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये लॉन्चिंग की सफलता की जानकारी दी. पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने दो साल पहले जो वादा किया था, उसे पूरा किया है. पीएम मोदी ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव और श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्षों के साथ उपग्रह के सफल लॉन्चिंग की जानकारी साझा की.
Even sky is not limit whn it comes to regional cooperation.Sabka Saath, Sabka Vikas can be guiding light for action&cooperation in region:PM pic.twitter.com/hUEFfMezbh
— ANI (@ANI) May 5, 2017
पीएम मोदी ने कहा की हमने अपना 2 साल पुराना वादा पूरा किया इससे दक्षिण एशिया में करीब डेढ़ अरब आबादी को कई फायदे होंगे. आज हम इस असफल लॉन्चिंग का जश्न मनाने के लिए यहां हैं, हमें आगे भी ऐसे प्रयास किये जाने की जरूरत है. एडवांस स्पेस टेक्नोलॉजी से दक्षिण एशिया के लोगों को काफी जानकारी मिलेगी.
सबका साथ सबका विकास
पीएम मोदी ने बताया कि दक्षिण एशिया संचार उपग्रह के माध्यम से अच्छी संचार व्यवस्था, बेहतर बैंकिंग सेवाएं, मौसम का अनुमान, मेडिकल सुविधाओं के लिए टेलीमेडिसिन आदि फायदे मिल सकते हैं, इसके साथ ही उन्होंने इसरो के वैज्ञानिकों को सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग के लिए बधाई भी दी. पीएम मोदी ने अपने लक्ष्य को दोहराते हुए कहा कि हम सबका साथ सबका विकास चाहते हैं. इस सैटेलाइट से विकास और शांति बहाली में मदद मिलेगी. इसका उद्देश्य विनाश नहीं विकास बढ़ाना है, इससे गरीबी नहीं सम्पन्नता को बढ़ावा दिया जायेगा.
इसके बाद सफलता पर 6 अन्य देशों ने भी पीएम मोदी को धन्यवाद ज्ञापित किया और अपनी अपनी बात रखी, आपको बता दें कि पीएम मोदी ने मई 2014 में सत्ता में आने के बाद वैज्ञानिकों से दक्षेस उपग्रह बनाने का आग्रह किया था. जिसकी सेवाएं पडोसी देशों को भारत की तरफ से उपहार के रूप में दी जाएं. यह एक आसमानी गिफ्ट है जो भारत ने अपने 7 पड़ोसी देशों को दिया है.
आपको बता दें कि यह प्रोजेक्ट 450 करोड़ की लागत का है, इसरो ने इसे पौने तीन साल में तैयार किया है, बीते दिनों पीएम मोदी ने मन की बात रेडियो कार्यक्रम में भी इसका जिक्र किया था. इसका प्रक्षेपण GSLV-F09 रॉकेट के जरिये किया गया. इस उपग्रह की कीमत 235 करोड़ रुपये है, जबकि पूरी परियोजना पर 450 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. ये 12 साल तक अपनी सेवाएं देता रहेगा और भारत समेत 8 दक्षिण एशियाई देशों को सूचनाएं प्रदान करेगा.