घर से एक साथ उठी शहीद बेटे और मां की अर्थी, नजारा देख हर आंख हुई नम, पूरे गांव में छाया मातम
एक मां अपने बेटे को दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करती है। ऐसे में यदि उसकी आँखों के सामने ही बेटे का निधन हो जाए तो वह यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाएगी। बिहार के पूर्णिया में एक मां को ये सदमा इतना गहरा लगा कि उसने बेटे की मौत के गम में अपने प्राण ही त्याग दिए। ऐसे में एक ही घर से एक साथ दो अर्थियाँ उठी जिसे देख हर कोई भावुक हो गया।
दरअसल मृतक का नाम एसएचओ अश्विनी कुमार है। बीते रविवार शहीद दारोगा अश्विनी कुमार के साथ उनकी मां उर्मिला देवी की अर्थी भी साथ में उठी। बताया जा रहा है कि शनिवार सुबह पश्चिम बंगाल के पनतापाड़ा गांव में कुछ ग्रामीणों ने एसएचओ अश्विनी कुमार की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। जब मां ने ये खबर सुनी तो वह सहन नहीं कर पाई और उसने बेटे का शव आने से पहले ही अपने प्राण त्याग दिए।
इस केस में अश्वनी कुमार के साथ छापेमारी में गए 7 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड भी कर दिया गया है। उधर शहीद की पुत्री नैंसी इसे सोची समझी साजिश के तहत की गई हत्या बता रही है। उसका कहना है कि मुझे लोकल पुलिस पर भरोसा नहीं है। मैं चाहती हूँ कि किस केस में सीबीआई जांच हो।
बनमनखी विधायक व पूर्व मंत्री कृष्ण कुमार ने बताया कि मैंने शहीद के परिवार की मुख्यमंत्री से बात कारवाई है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि शाहिद को इंसाफ मिलेगा। इसके साथ ही परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी दी जाएगी।
शहीद अश्विनी कुमार को श्रद्धांजलि देते हुए पूर्णिया क्षेत्र के चारों जिलों के सारे पुलिसकर्मी अपनी एक दिन की सैलरी भी शहीद के परिवार को देंगे। ये रकम 50 लाख रुपए के आसपास होगी। इस बात की जानकारी खुद आईजी सुरेश चौधरी ने दी है।
एमएलसी दिलीप जायसवाल के मुताबिक परिवार द्वारा सीबीआई जांच की मांग करना सही है। पहले बिहार में किशनगंज में उसका एफआईआर होना जरूरी है। वरना बंगाल पुलिस से न्याय की आश लगाने का कोई मतलब नहीं है।
ये भी कहा जा रहा है कि ग्रामीणों के हमले के बाद यदि किशनगंज की पुलिस पीठ दिखाकर नहीं भागती तो शायद आज शहीद अश्विन हमारे बीच जिंदा होते। अब इस केस में हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग की जा रही है। इसके साथ ही परिजन चाहते हैं कि हत्यारों का स्पीड ट्रायल हो और उन्हें जल्द से जल्द सजा दी जाए।