शनिदेव को करना है प्रसन्न तो लाल-खट्टी और इन वस्तुओं का न करे सेवन, वरना होगा बाद में पछतावा
शनिदेव को सभी शास्त्रों में न्याय का देवता कहा जाता है. शनिदेव को किसी भी तरह का अन्याय पसंद नहीं है. वह अक्सर ऐसे लोगों पर क्रोधित होते है जो उनके नियमों का पालन नहीं करते है. इसलिए हम आपको बताने जा रहे है कि शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए आपको क्या करना चाहिए. शनिदेव को क्या पसंद है और क्या नहीं. जिन लोगों की शनि की साढ़ेसाती या ढईया है उन्हें भी इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए.
शनिदेव की प्रसन्नता के लिए शनिवार को काली, खट्टा, सफेद और लाल वस्तुओं को खाने से हमेशा बचाना चाहिए. इसके साथ ही इस दिन तेल दान की भी परंपरा है. अन्यथा आपको इसके कई बुरे परिणाम देखने को मिल सकते है. इसके साथ ही शनिदेव को विशेषकर खानपान में सबसे प्रमुख है सामिष भोजन. शनिवार के दिन मांस-मछली का सेवन करने से शनिदेव अत्यधिक क्रोधित हो जाते हैं. इसलिए इस दिन इस तरह के खाने से उन लोगों को अवश्य बचना चाहिए जिनके ऊपर शनि की साढ़े साती और ढैया चल रही है.
इसके साथ ही ध्यान रखे शनिवार के दिन मसूर की दाल और लाल मिर्च का प्रयोग वर्जित माना गया है. इसका कारण यह बताया जाता है कि, मसूर दाल और लाल मिर्च का संबंध मंगल ग्रह से होता है. ये दोनों ही ग्रह माने गए है. इसलिए इसके सेवन से व्यक्तियों में उग्रता आती है. इसके साथ ही आपको शनिवार को दूध या दही का सेवन भी नहीं करना चाहिए.
ऐसा इसलिए है क्योंकि दूध का संबंध शुक्र ग्रह से होता है. शुक्र ग्रह को विलासिता और इच्छाओं का ग्रह माना जाता है. वहीं शनि देव को अध्यात्मिक ग्रह माना जाता है. बहुत जरूरी हुआ तो दूध तथा दूध पदार्थों में कुछ और मिला कर खाया जा सकता है. इसके साथ ही याद रखे शनिवार को शराब पीना भी सख्त मना है. शराब राक्षसों का पेय माना जाता है.
शराब इंसानों में बुद्धि को भ्रष्ट करती है. उनकी मतिभ्रम करती है. शनिदेव के लिए यह विपरीत होने के कारण बन सकती है. यह मान-सम्मान हानि और जीवन के लिए भी खतरनाक हो सकता है. शनिवार को अचार, खट्टी और कषैली वस्तुओं से भी दुरी बनाये रखे. इसके साथ ही शनिवार के दिन लोहे की वस्तु की खरीदी नहीं करे, बल्कि इस दिन लोहे का दान करे. शनिवार के दिन लोहे का दान करने से शनिदेव व्यापार में लाभ देते है.
इन सब बातों के अलावा सूर्य के उदय होने के पूर्व स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. उसके बाद शनिदेव की पूजा करे. पीपल के वृक्ष के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाकर रख के आए. इसके साथ में शनिवार को इन मंत्रो का जाप भी करे. 1. “ॐ शं शनैश्चराय नमः”, 2. “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”, 3. “ॐ शन्नो देविर्भिष्ठयः आपो भवन्तु पीतये। सय्योंरभीस्रवन्तुनः।।
दोष निवारण हेतु पांच चमत्कारी मंत्र इनका भी जप करे. 1. ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये, 2. शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।, 3. ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:, 4. ॐ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।, 5. कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।.