15 अप्रैल को है गणगौर तीज, पढ़ें इसे मनाने से जुड़ी ये रोचक शिव-गौरी कथा
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर तीज मनाई जाती हैं। इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल गणगौर तीज का व्रत 15 अप्रैल 2021 को आ रहा है। ये पर्व मध्य प्रदेश और राजस्थान में खूब उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और मां गौरी से अपने पति व पुत्र की लंबी आयु की कामना करती हैं।
गणगौर तीज शुभ मुहूर्त 2021 –
गणगौर तीज पूजा 15 अप्रैल को की जाएगी। चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि का आरंभ 14 अप्रैल दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से होगा। चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि 15 अप्रैल शाम 03 बजकर 27 मिनट तक रहने वाली है। गणगौर पूजा शुभ मुहूर्त 15 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 52 मिनट तक है। यानी शुभ मुहूर्त कुल अवधि 35 मिनट की है।
ये पर्व 17 दिनों का होता है। इसकी शुरुआत चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होती है। जबकि चैत्र शुक्ल की तृतीया को गणगौर तीज पर व्रत पूजन के साथ समापन होता है। इस दिन स्त्रियां गणगौर माता यानी माता गौरा की विधि-विधान से पूजा करती हैं। इस पर्व को क्यों मनाया जाता जानते है। इससे एक कहानी जुड़ी हुई है जो कि इस प्रकार है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती होली के दूसरे दिन अपने माइके आती हैं और आठ दिनों के बाद भगवान शिव उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं। इसलिए ये त्योहार होली की प्रतिपदा से आरंभ होता है। इस दिन से सुहागिन स्त्रियां और कुंवारी कन्याएं मिट्टी की मदद से शिव जी व माता पार्वती यानि गौर की मूर्तियां बनाती हैं और इनका प्रतिदिन पूजन करती हैं। इसके बाद चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर शिव पार्वती की विदाई की जाती है। जिसे गणगौर तीज कहा जाता है।
मान्यता है कि इस दिन अगर शादीशुदा महिलाएं व्रत रखती हैं। तो उनके पति की आयु लंबी होती है। जबकि कुंवारी लड़कियां अगर ये व्रत रखती हैं। तो उनको मनचाहा जीवन साथी मिल जाता है। चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से इस पर्व की शुरुआत होती है और महिलाएं रोज सुबह उठ पूजा करती है। दूबों से दूध के छींटे मिट्टी की बनी हुई गणगौर माता को देती हैं। फिर चैत्र शुक्ल द्वितीया के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर गणगौरों को पानी पिलाया जाता हैं। चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया की शाम को गणगौर का विसर्जन कर दिया जाता है।
गणगौर व्रत पूजा विधि
- पर्व की शुरुआत होते ही मिट्टी के से गण गौर की मूर्ति बनाएं। केवल पवित्र मिट्टी से ही इसे बनाएं।
- चैत्र शुक्ल द्वितीया को पवित्र तीर्थ स्थल या सरोवर पर जाएं और गौरीजी को स्नान करवायें।
- इसके बाद चैत्र शुक्ल की तृतीया को गणगौर तीज का व्रत करें। मां की पूजा करें और उनके सामने घी की दीपक जला दें।
- हल्दी एवं कुमकुम से गण गौर का तिलक करें और माता गौरी को सिंदूर, अक्षत पुष्प अर्पित करें। साथ में ही थोड़ा सा सिंदूर अपने माथे पर लगाएं।
- एक कागज लेकर उसके ऊपर 16 मेहंदी, 16 कुमकुम और 16 काजल की बिंदी लगाएं। इस मां को चढ़ा दें।
- व्रत कथा को पढ़ें। इसके बाद विसर्जन करके व्रत का पारण करें।