नक्सलियों ने हमले के बाद किया CRPF जवान राकेश्वर को अगवा, परिवारवालों का रो-रोकर है बुरा हाल
छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले के बाद से जम्मू निवासी सीआरपीएफ जवान राकेश्वर सिंह मन्हास गायब हैं। अब खबर आ रही है कि इन्हें अगवा कर लिया गया है और ये नक्सलियों की कैद में है। राकेश्वर सिंह मन्हास के अगवा होने की बात सामने आने के बाद से इनके घर में शुभचिंतकों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है और हर कोई इनके सकुशल घर लौट आने की दुआ कर रहा है। राकेश्वर का परिवार इस समय बरनाई इलाके में रह रहा है।
राकेश्वर सिंह मन्हास के परिवार के लोगों के लिए दिन काटना मुश्किल होता जा रहा है और ये बस उस पल का इंतजार कर रहे हैं। जब राकेश्वर सिंह मन्हास वापस इनके पास आ जाएंगे। राकेश्वर की पत्नी मीनू चिब का रोकर बुरा हाल हो रखा है। पत्नी मीनू चिब के अनुसार शनिवार 3 मार्च को अंतिम बार उनकी बात राकेश्वर से हुई थी। उस दौरान उन्होंने कहा था कि वो एक ऑपरेशन पर जा रहे हैं। अपने साथ खाना पैक कर लिया है। लौट कर फोन करेगा, लेकिन पिछले तीन दिन से उनका फोन रिसीव नहीं हो पा रहा। रिंग जाती है, लेकिन कोई फोन नहीं उठाता। राकेश्वर की मां और बहन का कहना है कि आठ दिन से उनकी बात नहीं हुई।
राकेश्वर की एक छोटी बेटी भी है और इस समय पूरा परिवार काफी तनाव में है। हर कोई दुआ कर रहा है कि वो किसी भी तरह सकुशल घर लौट कर आए। परिवार ने उप-राज्यपाल से भी मदद मांगी है और इनके माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि राकेश्वर को किसी भी कीमत पर जिंदा वापस लाया जाए। राकेश्वर के परिवार को सीआरपीएफ की ओर से कहा गया है कि वह लगातार छत्तीसगढ़ सीआरपीएफ के संपर्क में हैं और राकेश्वर की रिहाई के लिए हर तरह का प्रयास किया जा रहा है।
सूत्रों के हवालों से जो खबर आ रही है। उसके अनुसार नक्सली राकेश्वर को बार-बार एक ही बात बोल रहे हैं कि वह सीआरपीएफ की नौकरी छोड़ दे। उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। नक्सलियों ने अपना एक संदेश भी जारी किया है कि वो राकेश्वर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।
गौरतलब है कि नक्सलियों के हमले में सीआरपीएफ के 20 से अधिक जवान शहीद हुए हैं। जबकि राकेश्वर को नक्सलियों ने अगवा कर लिया है और अपने साथ ले गए हैं। राकेश्वर की रिहाई का प्रयास सरकार कर रही है। दरअसल जवानों पर ये हमला उसे समय किया गया जब ये एक ऑपरेशन के तहत नक्सलियों को पकड़ने के लिए गए थे। इस दौरान 700 से अधिक जवानों को नक्सलियों ने घेर लिया था और तीनों ओर से इनपर फायरिंग की गई थी। इसी फायरिंग में 20 से अधिक जवान शहीद हो गए। जबकि राकेश्वर को नक्सली अपने साथ ले गए।
राकेश्वर साल 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। तीन महीने पहले ही उनकी छत्तीसगढ़ में पोस्टिंग हुई थी। शादी सात साल पहले हुई थी और एक पांच साल की बेटी सारघ्वी राजपूत है। राकेश्वर के पिता जगतार सिंह भी सीआरपीएफ में थे। उनका निधन हो चुका है।