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ऋषि कश्यप के पुत्र थे भगवान सूर्य, इस तरह से हुआ था इनका जन्म, पढ़ें- सूर्य देव जन्म कथा

शास्त्रों में सूर्य को देव का दर्जा दिया गया है और इनकी पूजा करने से शरीर की रक्षा कई प्रकार के रोगों से होती है। देव के अलावा ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा भी माना गया है। सूर्य को मान-सम्मान, पिता-पुत्र और सफलता का कारक भी माना जाता है। जो लोग रोज सूर्य देव का पूजन करते हैं व इनको अर्घ्य देते हैं उनके दुखों का नाश हो जाता है।

सूर्य देव जन्म कथा

इनकी जन्म कथा का जिक्र पुराणों में मिलता है। पुराणों के अनुसार सूर्य देव के जन्म से पहले इस संसार में अंधकार छाया हुआ था। इनके जन्म के बाद ही संसार से अंधकार दूर हुआ था। इनके पिता का नाम ऋषि कश्यप था। जो की ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि के बेटे थे। ऋषि कश्यप ने अदिति से विवाह किया था। विवाह के बाद अदिति ने घोर तपस्या की थी और सुषुम्ना नाम की किरण ने उनके गर्भ में प्रवेश किया था। गर्भ धारण करने के बाद भी अदिति चान्द्रायण जैसे कठिन व्रतों का पालन करती थी।

एक दिन जब ये बात ऋषि राज कश्यप को पता चली तो वो क्रोधित हो गए। उन्हें गुस्से में आकर अदिति से कहा-तुम इस तरह उपवास रख कर गर्भस्थ शिशु को क्यों मरना चाहती हो। ये बात सुनते ही अदिति ने गर्भ के बालक को उदर से बाहर कर दिया। जो अपने अत्यंत दिव्य तेज से प्रज्वल्लित हो रहा था। इस तरह से भगवान सूर्य का जन्म शिशु रूप में हुआ।

हिंदू धर्म में पंचदेवों में सूर्य देव को भी स्थान दिया गया है और इनकी पूजा करना बेहद ही लाभकारी होता है। रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है और इस दिन इनकी पूजा जरूर करनी चाहिए। इनकी पूजा करने से हर कामना पूर्ण हो जाती है और गंभीर रोग भी सही हो जाते हैं।

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