एक चौकीदार कैसे बना बॉलीवुड का बड़ा स्टार, सुनिए नवाजुद्दीन सिद्दीकी की ज़िंदगी का अनसुना किस्सा
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हिंदी सिनेमा में कलाकारों को उनके काम को देखते ही फ़िल्में मिलती है, हालांकि इस सच्चाई से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है कि, दमदार अदाकारी के साथ ही कलाकारों का रंग, रूप, कद-काठी भी बहुत मायने रखती है और बॉलीवुड में कई ऐसे सितारें हुए हैं, जिनके पास पहले इनमें से कुछ भी नहीं था, हालांकि वे अपने बेहतरीन काम से दर्शकों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब रहे. ऐसा ही आज के समय में बॉलीवुड के लिए एक बड़ा नाम है अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी का.
नवाजुद्दीन सिद्दीकी आज इस मुकाम पर एक लंबा संघर्ष करके पहुंचे हैं. नवाजुद्दीन के पास अदाकरी के अलावा हीरो जैसी कोई और बात नहीं थीं. नवाजुद्दीन सिद्दीको जो भी किरदार निभाते हैं, उसमे पूरी शिद्दत के साथ उतरते हैं और उसमें अपनी पूरी जान फूंक देते हैं. उनकी कद-काठी और रंग-रूप को देखकर कोई भी उनकी बेहतरीन अदाकारी का अंदाजा नहीं लगा सकता है.
नवाजुद्दीन सिद्दीकी, मनोज वाजपेयी, इरफ़ान खान, पंकज त्रिपाठी जैसे सितारों ने दर्शकों के दृष्टिकोण में बदलाव किया है. कहा जाता है कि, इन सभी सितारों में दर्शकों को एक नेचुरल अदाकार देखने को मिलता है. 19 मई 1976 को नवाजुद्दीन सिद्दीकी का जन्म उत्तरर प्रदेश के बुढ़ाना में हुआ था. नवाजुद्दीन का दूर-दूर तक फ़िल्मी दुनिया से कोई रिश्ता नहीं था. लेकिन बचपन में हीरो बनने की ललक और लगन उनके भीतर पैदा हो गई थी.
1996 में नवाज ने दिल्ली की ओर रुख किया. यहां से उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा अपने सपने को जीने के लिए एक्टिंग की पढ़ाई पूरी की. बाद में वे मुंबई चले गए. हालांकि किसी न्यूकमर के लिए फिल्मों में इतनी जल्दी काम मिलना बहुत मुश्किल था. ऐसे में मुंबई में भी नवाज को शुरुआती दिनों में संघर्ष करना पड़ा. बता दें कि उन्होंने फिल्मों में एंट्री लेने से पहले खर्चा चलाने के लिए चौकीदार की नौकरी तक की. लेकिन अपनी गलती के कारण उन्हें इस नौकरी से हाथ धोना पड़ा था.
दरअसल, नवाजुद्दीन शारीरिक रूप से कमजोर थे. वे नौकरी करने के दौरान इसके चलते अक्सर बैठे ही रहते थे. ऐसे में एक बार जब उनके मालिक ने उन्हें देख लिया तो उन्हें अपनी नौकरी गंवानी पड़ी. इतना ही नहीं नवाजुद्दीन को सिक्योरिटी अमाउंट भी रिफंड नहीं किया गया था.
बता दें कि, नवाज ने एक समय फिल्मों में वेटर, चोर और मुखबिर जैसे छोटे-मोटे रोल अदा किए, हालांकि धीरे-धीरे बड़ी-बड़ी फिल्मों में लंबे रोल्स भी उन्हें ऑफर हुए. ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ तक आते आते नवाज स्टार बन चुके थे. इसके बाद लगातार उनका नाम आगे ही बढ़ते गया. आज उनकी गिनती हिंदी सिनेमा के सफ़ल अभिनेताओं के रूप में होती है.