पिरियड्स में महिलाओं को किचन और मंदिर क्यों नहीं जाने देते? जाने कैसे शुरू हुई ये परंपरा
महिलाओं में पीरियड्स (Periods) का आना एक आम बात है। इन दिनों में महिलाओं को काफी दर्द झेलना पड़ता है। उनके शरीर से खून बाहर निकलने की वजह से शरीर में कमजोरी भी आ जाती है। पीरियड्स में महिलाओं को मूड स्विंग की प्रॉब्लम भी रहती है।
भारत में पीरियड्स (Mensturation Cycle) को लेकर कुछ नियम कायदे भी कई घरों में फॉलो किए जाते हैं। जैसे इन दिनों में महिलाओं के किचन के अंदर जाने की मनाही होती है। वहीं मंदिर जाने या भगवान की पूजा पाठ करने पर भी रोक टोक होती है। ऐसे में क्या आप ने कभी इसके पीछे की वजह जानने की कोशिश की है?
गायनोकॉलजिस्ट डॉक्टर सोनिया चावला इस विषय पर रोशनी डालती हैं। वे बताती हैं कि पीरियड्स महिलाओं को किचन में न जाने देना और मंदिर, पूजा-पाठ से दूर रखना लोगों की मानसिकता का परिणाम है। ये वे दिन होते हैं जब महिलाओं को आराम की सबसे अधिक जरूरत होती है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में बहुत वीकनेस भी देखने को मिलती है।
इसलिए किचन में नहीं जाने देते: डॉक्टर बताती हैं कि पहले के जमाने में जॉइंट फैमिली (संयुक्त परिवार) अधिक होते थे। तब महिलाओं को कई लोगों का खान एक साथ बनाना होता था। उस समय अधिकतर मसाले भी घर पर ही तैयार किए जाते थे। ये सब बहुत मेहनत वाला काम होता था। ऐसे में महिलाओं को आराम की सख्त जरूरत पढ़ती थी। इसलिए पिरियड्स के दिनों में उन्हें किचन से छुट्टी देने का रिवाज शुरू हुआ। इसकी एक वजह ये भी थी कि इन दिनों महिलाओं के शरीर में पहले से ही कमजोरी देखने को मिलती थी। ऐसे में उनकी काम से छुट्टी का ये दिन बेस्ट था। बस तभी से इस परंपरा का आरंभ हुआ।
इसलिए पिरियड्स में नहीं करने देते पूजा पाठ डॉक्टर सोनिया बताती हैं कि प्राचीन समय में लोग बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के हुआ करते थे। वे इस तरह की चीजों को लॉजिक की बजाय धर्म से जोड़ देते थे। पीरियड्स में पूजा ना करने देने की वजह ये मानी जाती है कि प्राचीन समय में बिना मंत्रोच्चार के कोई पूजा पद्धति पूर्ण नहीं होती थी। ऐसा तर्क था कि इन मंत्रों का उच्चारण करने में बहुत अधिक एनर्जी लगती है। वहीं पीरियड्स में महिलाएं बहुत कमजोर पड़ जाती हैं। इसलिए महिलाओं की सेहत का ख्याल रखते हुए ऊनें पूजा में नहीं बैठने दिया गया। हालांकि बाद में ये चीज एक रूढ़िवाद सोच में परिवर्तित हो गई।