होलिका दहन की रात उठती लौ की दिशा से जाने अपना भविष्य, पूरे साल की डिटेल मिलेगी
हर साल होली का त्योहार आते ही होलिका दहन भी किया जाता है। इस बार यह होलीका दहन 28 मार्च को है। आप में से कई लोग इस होलिका दहन में शामिल होंगे। यह एक तरह से बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में किया जाता है। कहते हैं होलिका दहन से वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा का नाश हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह होलिका दहन आपका भविष्य भी बता सकता है।
ज्योतिष शास्त्र की माने तो होलिका दहन के समय हवा की दिशा से आपके भविष्य की जानकारी हासिल की जा सकती है। होलिका दहन की लौ जिस दिशा में लहराती हुई जलती है उससे यह तय होता है कि व्यापार, कृषि, वित्त, शिक्षा व रोजगार इत्यादि को लेकर आपका आगामी एक वर्ष कैसा होगा। मतलब होलिका दहन का धुंआ जिस दिशा में उठता है उससे आप अपना भविष्य जान सकते हैं।
लौ ऊपर उठे तो:
होलिका दहन के दौरान यदि उसकी लौ ऊपर आसमान की तरफ उठे तो समझ जाइए कि ये अच्छा संकेत है। इससे आगामी वर्ष में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं। इससे जनहानि और प्राकृतिक आपदा की आशंका कम रहती है। वहीं सत्ता और प्रशासनिक क्षेत्रों में बड़े और पॉजिटिव बदलाव देखने को मिलते हैं।
पूर्व दिशा:
होलिका दहन के समय यदि इसकी लौ पूर्व दिशा की ओर लहराए तो ये शुभ संकेत माना जाता है। इसका मतलब है कि आगामी वर्ष में शिक्षा, अध्यात्म और धर्म को बढ़ावा मिलने वाला है। साथ ही रोजगार के नए अवसर भी खुलने वाले हैं। सेहत को लेकर सबकुछ अच्छा रहने वाला है। वहीं आपके मां सम्मान में भी वृद्धि होने वाली है।
पश्चिम दिशा:
होलिका दहन की अग्नि की लौ पश्चिम दिशा में होने पर पशुधन का लाभ होता है। आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। हालांकि ऐसा धीरे धीरे होता है। प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बनी रहती है, लेकिन कोई बड़ा नुकसान नहीं होता है। इसे अलावा आगामी वर्ष में कई चुनौतियां सामने आती है, हालांकि बाद में इसमें सफलता भी मिलती है।
उत्तर दिशा:
होलिका दहन में यदि अग्नि उत्तर की ओर जलने लगे तो देश और समाज में सुख शांति के चांस बढ़ जाते हैं। इसके अलावा आर्थिक उन्नति भी होती है। इसकी वजह ये है कि उत्तर दिशा में कुबेर सहित अकि देवता वास करते हैं। वहीं चिकित्सा, शिक्षा, कृषि, व्यापार इत्यादि क्षेत्रों में भी लाभ होता है।
दक्षिण दिशा:
होलिका दहन में अग्नि की लौ दक्षिण दिशा की ओर जाना शुभ संकेत नहीं होता है। ऐसा होने पर झगड़े और विवाद बढ़ते हैं। युद्ध-अशांति के चांस बढ़ जाते हैं। बस न्यायिक मामलों में ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।