पत्थरबाजों पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट, सरकार और बार एसोसिएशन से कही ये बात!
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि भारत से कश्मीर की आजादी मांगने वाले लोगों से बात नहीं की जा सकती. सुप्रीम कोर्ट कश्मीर में पैलेट गन के प्रयोग पर रोक लगाने के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा था. यह याचिका जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से दाखिल की गयी थी. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर शांति बहाली के प्रयास पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पत्थरबाजी के बीच बातचीत करना कैसे संभव है.
केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अलगाववादी नेताओं और ऐसे लोगों से बातचीत नहीं की जा सकती जो कश्मीर की भारत से आजादी की बात करते हैं. केंद्र ने कहा कि वह उन लोगों से बात करेगा जो जनता के प्रतिनिधि बनकर उनकी तरफ से सरकार के साथ बातचीत करने की कानूनी वैधता रखते हैं. दरअसल जम्मू कश्मीर बार एसोसिएशन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि केंद्र हुर्रियत नेताओं से बातचीत करे. केंद्र सरकार ने इस मामले में अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि सरकार बातचीत करने को तैयार है मगर भारत से कश्मीर की आजादी की मांग करने वालों से कोई बात नहीं होगी.
इस मामले में बार एसोसिएशन का खाना था कि केंद्र हुर्रियत नेताओं से बातचीत करे और और उसने संवैधानिक दायरे में रहकर बातचीत करने की शर्त ना रखे. साथ ही पैलेट गण के प्रयोग को बंद किये जाने की भी मांग की. इसपर केंद्र ने भी अपना पक्ष रखा था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कश्मीर में लोग और उनके प्रतिनिधि शांति कायम करने की पहल करते हैं, तो वह इस मामले में आगे की बातचीत करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देगा.
कोर्ट ने कहा कि अगर कश्मीर की जनता इस बात के लिए आश्वासन देती है कि बातचीत के लिए माहौल बनाया जायेगा और सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी नहीं की जाएगी तो वह अगले दो हफ्ते तक पुलिस और सीआरपीएफ को पैलेट गन का प्रयोग नहीं करने का निर्देश देगी. कोर्ट ने बार एसोसिएशन के नेताओं से ऐसे लोगों का नाम सुझाने को कहा है जो कश्मीरी जनता के नेता के तौर पर केंद्र सरकार से बातचीत कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर बार एसोसिएशन को कहा कि वह इस मसले को सुलझाने के लिए बिना किसी का पक्ष लिए अहम भूमिका निभाए. कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन न तो सुरक्षाबलों का पक्ष ले सकता है और ना ही पत्थरबाज और हुर्रियत का. कोर्ट ने इस मामले में बार एसोसिएशन को बिना किसी का पक्ष लिए अहम भूमिका निभाने का निर्देश दिया है.
गौरतलब है कि इस मामले में पहले ही सुनवाई के दौरान सरकार ने पैलेट गन की जरूरत के बारे में बताया था. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इस मामले में सरकार का पक्ष रखते हुए बताया था कि पैलेट गन का उद्देश्य लोगों को नुकसान पहुंचना नहीं है. लेकिन जब हिंसक भीड़ काबू के बाहर हो जाती है तो सुरक्षा बलों को अंतिम विकल्प के तौर पर पैलेट गन का प्रयोग करना पड़ता है.