14 साल के लड़के ने की 16 साल की लड़की से शादी, कोर्ट में पहुंचा मामला तो सुनाया यह फैसला
एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है और नाबालिग बच्चों की शादी को लीगल करार दिया है। कोर्ट की ओर से 16 साल की लड़की और 14 साल के लड़के की शादी को वैध माना गया है। ये मामला बिहार राज्य के नालंदा जिले का है। दरअसल बिहार शरीफ में किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा के सामने 19 मार्च 2021 को एक मामला आया था। जिसके तहत नाबालिग किशोर पर किशोरी को भगाकर शादी करने का आरोप लगाया गया था। दोनों नाबालिग को शादी के बाद एक बच्चा भी हुआ, जो कि आठ महीने का है।
इस अनोखे मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि सजा देने से तीन जिंदगियां बर्बाद हो सकती थीं। इसलिए प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा ने इनकी शादी को वैध करार दिया और बच्चे की जिम्मेदारी सही से उठाने को कहा। कोर्ट ने फैसले देते हुए कहा कि इनकी 8 महीने की बच्ची को उसके दादा-दादी के घर भेजा जा सकता है। साथ में ही डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड कजर्वेशन यूनिट और हिलसा चाइल्ड वेलफेयर पुलिस ऑफिसर को युवा कपल और बच्ची की सही देखभाल के मामले में हर छह महीने के बाद रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने ये भी साफ किया कि इस फैसले को आधार मानकर किसी दूसरे राज्य के किसी मामले में इसका फायदा नहीं लिया जा सकता। ये फैसला कानून की जगह मानवता को देखते हुए लिया गया है। इस मामले का निपटरा तीन दिनों के भीतर किया गया है।
ये है पूरा मामला
सरस्वती पूजा में शामिल होने गई किशोरी अपने प्रेमी के साथ फरार हो गई थी। इसके बाद किशोरी के पिता ने 11 फरवरी 2019 को गांव के ही एक किशोर पर अपहरण का मामला दर्ज किया था। वहीं ये दोनों गांव से भागकर दिल्ली चल गए थे और आरोपी किशोर की मौसी के यहां रहने लगे। जब लड़की को पता चला की उसके पिता ने थाने में मामला दर्ज कराया है, ये गांव लौट आए। हालांकि इस दौरान लड़की मां बन चुकी थी। वहीं गांव लौटने की सूचना मिलते ही पुलिस ने आरोपी किशोर को न्यायालय के सुपुर्द कर दिया। जहां से उसे सेफ्टी होम शेखपुरा भेज दिया गया और ये अभी सेफ्टी होम में ही रह रहा है।
पास्को कोर्ट से ये मामला 19 मार्च 21 को किशोर न्याय परिषद पहुंचा था। जहां तीन जिंदगियों को देखते हुए महज तीन दिनों में ही जज मानवेंद्र मिश्रा ने ये फैसला सुना दिया और किशोर को रिहा करने का आदेश भी दिया। किशोर न्याय परिषद के सदस्य अधिवक्ता धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि स्पीडी ट्रायल का ये सबसे कम दिनों में सुनाया गया फैसला है। अब तक भारत के किसी भी न्यायालय में तीन दिनों के भीतर फैसला नहीं सुनाया गया है।