आज से शुरू हुआ होलाष्टक, 8 दिनों तक भूलकर भी न करें ये शुभ कार्य
आज से होलाष्टक शुरू हो गया है। जिसके साथ ही कई शुभ कार्यों पर रोक लग गई है। अब होली के बाद से ही शुभ कार्य किए जा सकेंगे। दरअसल होलाष्टक से लेकर होली तक के दिनों को शुभ नहीं माना जाता है और इस दौरान शुभ कार्य करना शास्त्रों में वर्जित माना गया है। शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक के प्रथम दिन फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी का चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु अपने उग्र रूप में होता है। इस दौरान किए गए कामों का फल अशुभ ही साबित होता है।
इस बार होलाष्टक की शुरुआत 22 मार्च से हो रही है जो कि 28 मार्च को होलिका दहन के साथ समाप्त होगी। 29 तारीख को फिर होली का त्योहार आएगा। 22 मार्च से लेकर 28 मार्च तक आप नीचे बताए गए कार्यों को करने से बचें।
होलाष्टक के दौरान न करें ये काम
- होलाष्टक के दौरान शादी, भूमि पूजन, गृह प्रवेश जैसे कार्य न करें।
- अगर आप कोई नया व्यापार शुरू करने का सोच रहे हैं। तो उसे इस दौरान शुरू न करने में ही भलाई होगी।
- शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक शुरू होने के साथ ही 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार व इत्यादि नहीं करने चाहिए।
- किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ भी इस दौरा न करें।
- नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके में ही रहना चाहिए।
- अगर आप कोई भूमि लेने का सोच रहे हैं। तो अभी न लें। होलाष्टक खत्म होने का भी इसे खरीदें।
होलाष्टक के दौरान करें ये कार्य
1.होलाष्टक की अवधि के दौरान तप करना अच्छा फल देता है। इस दौरान भक्ती करने से लाभ मिलता है।
2.होलाष्टक शुरू होने पर एक पेड़ की शाखा काट दें। फिर उसे घर के पास ही जमीन पर लगा दें। इसमें रंग-बिरंगे कपड़ों के टुकड़े बांध देे। इसे भक्त प्रह्लाद का प्रतीक माना जाता है। फिर जिस जिस जगह पर आप ये पेड़ की शाखा काट कर लगता हैें, उधर ही आप होलिका दहन कर दें। हालांकि इस चीज का ध्यान रखें की उस क्षेत्र में होलिका दहन तक कोई भी शुभ कार्य न करें।
3.इस दौरान नृसिंह भगवान का पूजन करना शुभ माना गया है और इनका पूजन करने से हर कामना पूर्ण हो जाती है।
होलाष्टक से जुड़ी कथा
कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नामक एक राजा होता है जो कि विष्णु भक्ति के खिलाफ होता है। हिरण्यकश्यप अपने राज्य में किसी को भी विष्णु भक्ति नहीं करने देता था। हालांकि हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद बहुत बड़ा विष्णु भक्त था और हर समय विष्णु जी की भक्ती किया करता था। जिसकी वजह से हिरण्यकश्यप अपने पुत्र को यातनाएं दिया करता था। प्रहलाद को फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को ही हिरण्यकश्यप ने बंदी बना लिया था और उसे जान से मारने के लिए तरह-तरह की योजनाएं बनाया करता था। लेकिन प्रहलाद विष्णु भक्ति के कारण हर बार बच जाता था। एक दिन अपने भाई हिरण्यकश्यप को परेशानी में देख उसकी बहन होलिका ने उनसे कहा कि ब्रह्मा ने मुझे अग्नि से न जलने का वरदान मुझे दिया है।
हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। ऐसा करने से प्रहलाद जलकर मर जाएगा। लेकिन जब होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठी तो प्रहलाद बच गया और होलिका जल गई। प्रहलाद को इस तरह कुल आठ दिनों तक यातनाएं दी गई थी। इसलिए होलाष्टक के इन आठ दिनों को अशुभ माना गया है और इस दौरान शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
वहीं होलिका के जलन के बाद हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने की कोशिश की तब नृसिंह भगवान प्रकट हुए और उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। होलाष्टक से जुड़ी दूसरी कथा के अनुसार भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के कारण शिव ने कामदेव को फाल्गुन की अष्टमी पर ही भस्म किया था।
धूमधाम से मनाई जाती है होली
होली के पर्व को पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। कई लोग इस दिन रंग से तो कई लोग फूलों से होली को खेला करते हैं। इस दिन राधा कृष्ण की पूजा भी की जाती है और मथुरा के मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया जाता है।