घबराइए नहीं! कभी प्राइवेट नहीं होगा भारतीय रेलवे, जनसेवा है सबसे बड़ा दायित्व!
रेलवे प्राइवेटाइजेशन : भारत में एक बड़ा तबका ऐसा भी है जिसका मानना है कि बीजेपी की सरकार केवल प्राइवेटाइजेशन और पूंजीवाद को बढ़ावा देती है, एक विचारधारा के तहत लोगों का मानना यह भी है कि बीजेपी सरकार के घाटे को कम करने के लिए या बजट के घाटे को कम करने के लिए सरकारी कंपनियों और सेवा प्रदाताओं को प्राइवेट हाथों में देने से नहीं कतराती है.
रेलवे प्राइवेटाइजेशन :
केंद्र में जब नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार का गठन हुआ और सरकार ने देश की सबसे बड़ी सरकारी कंपनियों में से एक रेलवे में सुधार और उसके उत्थान के लिए कायाकल्प बोर्ड का गठन किया. रेलवे कायाकल्प बोर्ड के अध्यक्ष या प्रमुख बनाये गए टाटा इंडस्ट्रीज के मालिक रतन टाटा. हालांकि इस बोर्ड का उद्देश्य रेलवे की पूरी तरह से समीक्षा कर उसके उत्थान के लिए नीतियों की सिफारिश करना था. मगर बहुत से लोगों को लगता था कि इसके जरिये सरकार रेलवे के प्राइवेटाइजेशन के क्षेत्र में कदम बढ़ाएगी.
रेलवे को कभी भी निजी हाथों में नहीं सौंपा जायेगा :
ऐसी ही तमाम अटकलों और अफवाहों पर विराम लगाते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने एक इंटरव्यू में बताया कि रेलवे को कभी भी निजी हाथों में नहीं सौंपा जायेगा. उन्होंने कहा कि भारत सरकार आम लोगों के हित को कभी भी नजरअंदाज नहीं कर सकती है. उनके अनुसार रेलवे जैसी सेवाओं से सरकार जनसेवा के दायित्वों का निर्वहन करती है.
दरअसल उन्होंने यह बात एक सवाल के जवाब में कही, उनसे पूछा गया था कि लम्बी अवधि के नजरिये से देखा जाये तो एक दिन रेलवे आम आदमी के लिए किफायती माध्यम न रहकर निजी कंपनियों के स्वामित्व में चला जायेगा. इस प्रश्न का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने ऐसी सभी आशंका और संभावनाओं को नकार दिया उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भारत में ऐसा संभव नहीं है. उनके अनुसार आने वाले समय में रेलवे एकमात्र ऐसा साधन बना रहेगा जो आम लोगों के लिए परिवहन का अंतिम और किफायती विकल्प होगा. इतना ही नहीं उन्होंने इसके लिए सरकार की प्रतिबद्धता भी जताई.
सुरेश प्रभु ने स्पष्ट किया कि रेलवे की समस्याएं केवल निजीकरण से नहीं खत्म होंगी. बल्कि समाधान नतीजा आधारित कदमों पर निर्भर होना चाहिए. दुनिया में बहुत कम जगहों पर रेलवे का निजीकरण हुआ है. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने उदाहरण देते हुए बताया कि ब्रिटेन की रेलवे के एक हिस्सा का निजीकरण हुआ है, जिसे इटली कि सरकार ने खरीदा है. उन्होंने सवाल किया कि कौन सी निजी कम्पनी रेलवे का स्वामित्व खरीदने में दिलचस्पी लेगी?
उन्होंने रेलवे को जनसेवा के दायित्वों से जोड़ते हुए दुनिया भर की नजीर पेश की. उन्होंने रेलवे को जनसेवा के लिए अहम बताया उनके अनुसार इसका निजीकरण भारत जैसे देश में संभव नहीं है, उन्होंने सवाल किया कि क्या कोई विमानन कम्पनी किसानों के लिए विमान सेवा लाएगी? इसलिए जनसेवा का दायित्व निभाने के लिए सरकार को ही करना होगा. उन्होंने बताया कि भारतीय रेलवे ने नीति आयोग से जनसेवा दायित्व के पहलू पर गौर करने को कहा है. उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2016-17 भारतीय रेलवे के लिए सबसे चुनौती भरे सालों में से एक रहा है. गौरतलब है कि रेलवे ने उक्त वित्तीय वर्ष में कई बड़े और अहम फैसले लिए हैं.