शादी के इतने सालों बाद भी अभिनेत्री हेमा मालिनी धर्मेंद्र की इस बात से काफी नाराज़ रहती है…
बॉलीवुड के ‘हीमैन’ और सबसे हैंडसम अभिनेताओं में शुमार किए जाने वाले धर्मेंद्र ने दो-दो शादियां की थी. उन्होंने पहली शादी सनी देओल और बॉबी देओल की माँ से की थी. उन्हें फिल्मों में आने के बाद उस समय की सबसे खूसबसूरत अदाकारा रही हेमा मालिनी से प्यार हो गया. उस समय हेमा मालिनी से कई अभिनेता शादी करना चाहते थे. कई उनके प्यार में दीवाने थे. इसी बीच सबके दिल तोड़ते हुए हेमा मालिनी ने ‘हीमैन’ को अपना दिल दें दिया.
ख़बरों की माने तो इन दोनों स्टार्स की पहली मुलाकात सन 1965 के दौरान ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म ‘आसमान महल’ के प्रीमियर पर हुई थी. इसके बाद दोनों में मुलाकातें बढ़ने लगी और धीरे धीरे दोनों में प्यार होने लगा. इन दोनों का प्यार फिल्म शोले के समय सातवें आसमान पर पहुंच गया. इसके बाद शादीशुदा धर्मेन्द्र ने 21 अगस्त 1979 को हेमा से दूसरी शादी कर ली थी.
शादी के बाद इतने सालों में भी हेमा मालिनी को धरम पाजी से हमेशा एक शिकायत रही है. हेमा मालिनी का कहना है कि उनकी शादी के बाद से ही उन्हें उनके पति के साथ ज्यादा समय बिताने का समय कभी नहीं मिला. इस बारे में अभिनेत्री ने कई बार कई मौकों पर इस बारे में कहा है कि उन्हें अपने पति धर्मेन्द्र के साथ जितना भी समय बिताने को मिला वह बेशकीमती है.
आपको एक और दिलचस्प बात बता दें कि शादी के इतने सालों बाद भी हेमा अपने पति धर्मेन्द्र के पहले घर नहीं गई है. उसी घर में जहां धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर रहती है. जहां हेमा रहती हैं उस घर की और धर्मेंद्र के घर की दुरी सिर्फ 5 किलोमीटर ही है.
धर्मेंद्र ने सन् 1960 में फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे से अभिनय की शुरुआत की थी. इसके बाद अगले तीन दशकों तक उन्होंने सिनेमा पर राज़ किया. धर्मेंद्र ने केवल मेट्रिक तक ही शिक्षा प्राप्त की थी. 19 साल की उम्र में ही प्रकाश कौर के साथ उनकी शादी भी हो चुकी थी. अभिनेता धर्मेंद्र अक्सर क्लास में जाने के बजाय सिनेमा हॉल में पहुँच जाया करते थे.
सोरत और सीरत (1962), बंदिनी (1963), दिल ने फिर याद किया (1966), और दुल्हन एक रात की (1967), अनपढ़ (1962), पूजा के फूल (1964), बहारें फिर भी आएँगी (1966), और आँखे (1968), आकाशदीप (1965), शादी (1962) ,आयी मिलन की बेला (1964). इसके बाद धर्मेंद्र ने मीना कुमारी के साथ एक सफल जोड़ी बनाई और 7 फ़िल्मों में स्क्रीन शेयर की, जिनमें मुख्य हैं, मैं भी लड़की हूँ (1964), काजल (1965), पूर्णिमा (1965), फूल और पत्थर (1966), मझली दीदी (1967), चंदन का पलना (1967) और बहारों की मंजिल (1968).
फूल और पत्थर (1966) उनकी पहली एक्शन फिल्म थी. फूल और पत्थर (1966) में सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म बन गई और धर्मेंद्र को पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया. इसके बाद उन्होंने आई मिलन की बेला, आया सावन झूमके, मेरे हमदम मेरे दोस्त, इश्क पर जोर नहीं, प्यार ही प्यार और जीवन मृत्युु जैसी फिल्मों में रोमांटिक भूमिकाएँ निभाई. अभिनेता धर्मेंद्र ने 200 से भी अधिक फिल्मों में काम किया है. मँझली दीदी, सत्यकाम, शोले, चुपके चुपके आदि कुछ यादगार फिल्मे है.