संतोषी माता व्रत कथा : शुक्रवार को रखा जाता है यह व्रत, इस दिन भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये काम
संतोषी माता व्रत कथा : शुक्रवार के दिन संतोषी माता का व्रत व इनकी पूजा करना बेहद ही फायदेमंद साबित होता है। जो लोग इस दिन मां को याद करते हैं, मां उनकी हर कामना पूर्ण कर देती हैं और सूखों से उनका जीवन भर देती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, संतोषी माता का जन्म शुक्रवार को हुआ था। इसलिए शुक्रवार को मां की पूजा करने का विधान हैं। मान्यता है कि जो लोग मां की पूजा करते हैं, उनके परिवार में खुशहाली बनीं रहती है। जबकि मां का उपवास व व्रत कथा पढ़ने से मां हर कामना पूर्ण कर देती है।
संतोषी मां व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक महिला पर उसकी सास काफी अत्यचार करती थी। ये महिला अपने पति से बेहद ही प्यार करती थी। इसलिए सास के अत्याचरों को चुप चाप सहन कर लेती थी। इस महिला का पति काफी गरीब हुआ करता था। ऐसे में एक दिन इसके पति ने सोचा की क्यों न मैं शहर जाकर पैसे कमाऊं। अपनी मां और पत्नी से अनुमति लेकर ये पैसे कमाने के लिए बाहर चले गए। वहीं महिला की सास ने उसपर अत्यचार और तेज कर दिए। पूरे दिन सास उससे घर के काम करवाया करती थी और खाने को कुछ भी नहीं दिया करती थी। महिला की काफी बुरी हालत हो चुकी थी।
वहीं एक दिन जब ये महिला मंदिर गई तो वहां पर इसने कुछ औरतों को मां संतोष की कथा पढ़ते हुए देखा। इन औरतों से जब मां संतोष के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि मां की पूजा व व्रत रखने से हर कामना पूर्ण हो जाती है और जीवन में सुख बनें रहते हैं। ये बात सुनकर इस महिला ने भी शुक्रवार को व्रत रखना शुरू कर दिया। मां का व्रत रखने से पति को नौकरी मिल गई और खूब पैसे कमाने लगा। हर महीने महिला का पति उसे पैसे भेजने लगा। एक दिन इस महिला ने मां की पूजा करते हुए मां से कहा कि जब मेरा पति घर आ जाएगा तो मैं तुम्हारे व्रत का उद्यापन करूंगी।
एक रात को मां संतोषी महिला के पति के सपने में आई और मां ने महिला के पति से कहा कि तुम अपने घर वापस जाऊ। मां की ये बात सुनकर उसने कहा कि सेठ का सामान बिक नहीं रहा है और ऐसे में उसे रुपए नहीं मिल रहे हैं। बिना पैसों के वो घर कैसे जाए। अगले दिन इसने अपने सेठ से घर जाने की अनुमति भी मांगी, लेकिन सेठ ने छुट्टी देने से मना कर दिया। वहीं कुछ पल में ही सेठ की दुकान में काफी सारे ग्राहक आने लगे और उसका सारा सामान बिक गया। जिसके चलते सेठ खुश हो गया और उसने महिला के पति को पैसे देकर कुछ दिनों की छुट्टी दे दी।
पति को घर में देख महिला काफी खुश हो गई और उसने मां के व्रत का उद्यापन करने का सोचा। हालांकि पड़ोस में रहने वाली एक औरत को जलन होने लगी और उसने अपने बच्चों से कहा कि जब तुम उनके यहां भोजन करने जाओं तो खटाई जरूर मांगना। उद्यापन वाले दिन बच्चों ने महिला से पैसे लिए और उन पैसों से इमली खरीद कर खा ली। जिसके कारण संतोष मां नाराज हो गई।
मां के नाराज होने के साथ ही महिला व उसके पति की किस्मत बदल गई और उनके जीवन में दुख आने लगे। तब किसी ने महिला को बताया कि उसके दिए हुए पैसों से बच्चों ने इमली खा ली थी। जिसके कारण ये सब हो रहा है। पूरा बात पता चलने के बाद महिला ने मां से माफी मांगी और फिर से व्रत करना शुरू कर दिया। जिसके फलस्वरूप सब सही हो गया है और मां की कृपा फिर से बन गई।
इस तरह से करें व्रत
अगर आप ये व्रत रखना चाहते हैं तो इसे शुक्रवार को ही रखें। नहा-धोकर मां की पूजा करें। पूजा करते समय एक लोटे में शुद्ध जल ले गुड़-चने का प्रसाद रख दें। मां की पूजा करें और उनकी कथा को पढ़ें। इस दिन खटाई भूल कर भी मत खाना और न ही किसी को देना। एक वक्त भोजन करना।
संतोषी माता व्रत कथा शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से शुरू किया जाता है और कुल 16 शुक्रवार तक व्रत किए जाने का विधान है। 16 व्रत होने के बाद लोगों को भोजन खिलाया जाता है।