आज है विजया एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व इससे जुड़ी पौराणिक कथा..
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल ये एकादशी 9 मार्च को आ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने व इनका व्रत रखने का विधान है। विजया एकादशी के दिन विष्णु जी की पूजा करने से शत्रु पर विजय मिलती है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 8 मार्च को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से हो रहा है। जो कि अगले दिन 09 मार्च को दोपहर 03 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। उदया तिथि 09 मार्च को प्राप्त हो रही है, इसलिए विजया एकादशी का व्रत 09 मार्च को रखा जाएगा।
विजया एकादशी से जुड़ी कथा के अनुसार ये व्रत राम भगवान ने भी रखा था। भगवान श्रीराम ने लंका विजय और समुद्र पार करने के लिए विजया एकादशी का व्रत किया था। जिसके कारण उन्हें युद्ध में विजय प्राप्त हुई थी। माना जाता है कि अगर किसी कार्य में सफलता नहीं मिल रही है। तो आप ये व्रत रखें। ये व्रत रखने से आपको सफलता प्राप्त हो जाएगी।
अगर आप किसी पर विजय पाना चाहते हैं, तो इस दिन व्रत जरूर रखें। ये व्रत करने से आपको शत्रु पर विजय की प्राप्ति होगी।
इस तरह से करें पूजा
- विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु के अवतारों की पूजा करें। पूजा करते समय विष्णु जी को तुलसी का पत्ता और पीले रंग के फूल जरूर अर्पित करें।
- पूजा करते समय एक दीपक जला दें और व्रत रखने का संकल्प धारण करें। फिर अपनी पूजा शुरू करें। पूजा करते समय विष्णु जी से जुड़े पाठ को पढ़ें। वहीं इनसे जुड़े मंत्रों का जाप भी करें।
- इस दिन तुलसी का पूजन भी करें। शाम के समय तुलसी के पौधे के सामने दीपक जला दें। हो सके तो पीपल के पेड़ की पूजा भी आप कर सकते हैं।
करें इन मंत्रों का जाप
1. श्री विष्णु मूल मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय॥
2. श्री विष्णु भगवते वासुदेवाय मंत्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
3. श्री विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
4. विष्णु शान्ताकारम् मंत्र
शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
5. मंगल श्री विष्णु मंत्र
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
विजया एकादशी व्रत पारण समय
एकादशी व्रत रखने वालों को व्रत का पारण द्वादशी तिथि के समापन से पूर्व कर लेना चाहिए। विजया एकादशी व्रत का पारण 10 मार्च को प्रात: 06 बजकर 36 मिनट से सुबह 08 बजकर 58 मिनट के बीच कर सकते हैं। पारण करने के दिन द्वादशी तिथि का समापन दोपहर 02 बजकर 40 मिनट पर हो रहा है। पारण करने से पहले ब्राह्मण को भोजन कराएं।
रखें इन बातों का ध्यान
1.एकादशी के दिन तुलसी के पत्तों को न तोड़ें। माना जाता है कि इस दिन तुलसी का पत्ता तोड़ने से पाप चढ़ता है। इसलिए आप तुलसी का पत्ता तोड़ने की गलती न करें और इस दिन इस पौधे की पूजा जरूर करें।
2. चावल का सेवन करने से बचें और न ही घर में चावल या इससे जुड़ी कोई चीज बनाएं।
3. बिस्तर पर न सोेए। इस दिन केवल जमीन पर ही बैठना और सोना होता है।
4. शराब जैसी चीजों का सेवन करने से बचें।