एक से ज़्यादा Savings अकाउंट रखते हैं तो जान लें यह बातें, वरना हो जाएगा भारी नुकसान
अक्सर कई लोग एक से अधिक सेविंग अकाउंट खोल लेते हैं। ज्यादा सेविंग अकाउंट खोलने से कई तरह के नुकसान जुड़े होते हैं। इसलिए फाइनेंशियल एडवाइजर ज्यादा सेविंग अकाउंट न खोलने की सलाह देते हैं। फाइनेंशियल एडवाइजर के अनुसार बेकार पड़े या जिन सेविंग अकाउंट का आप इस्तेमाल नहीं करते हैं, उनको बंद करना ही समझदारी होती है। बेकार पड़े सेविंग अकाउंट रखने के कई नुकसान होते हैं। इसलिए आप कोशिश करें की आपके सेविंग अकाउंट की संख्या अधिक न हो। वहीं बेकार पड़े सेविंग अकाउंट से क्या नुकसान हो सकते हैं। उसकी जानकारी इस प्रकार है।
होना चाहिए मिनिमम बैलेंस
कई सारे बैंक में अकाउंट खोलने के बाद उनमें मिनिमम मंथली एवरेज बैलेंस रखना होता है। मिनिमम मंथली एवरेज बैलेंस न होने पर बैंक अपनी पॉलिसी के हिसाब से आपके खाते से पैसे काट लेता है। सभी बैंकों के रेगुलर सेविंग्स अकाउंट में ये नियम लागू है। इसलिए बेकार पड़े अकाउंट में अगर आपके कुछ पैसे हैं, तो बैंक उनमें से चार्ज काट लेते हैं। ऐसे में आपके पास 2 ऑप्शन बचते हैं। या तो आप मंथली एवरेज बैलेंस बनाए रखें। या अपनी सेविंग का कुछ हिस्सा बैंक में जमा करते रहें।
भरनी पड़ती है फीस
बैंक में अकाउंट खुलवाने के बाद आपको डेबिट कार्ड व अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं। इन सुविधाओं के लिए आपको फीस भरनी पड़ती है और फीस की राशि सीधा आपके खाते से कट जाती है। दरअसल खाता खुलवाने पर कोई चार्ज नहीं होता है। लेकिन बहुत से बैंक अपने डेबिट कार्ड के लिए कुछ फीस लेते हैं। ये फीस सालाना 100 रुपये से 1000 रुपये तक होती है। डेबिट कार्ड की फीस के अलावा कुछ बैंक sms भेजने का चार्ज भी वसूलते हैं। ये चार्ज 30 रुपये प्रति तिमाही हो सकता है। यानी इस फीस की कीमत आपके उस बेकार पडे़ खाते से मिलने वाले ब्याज से भी ज्यादा होती है।
जुर्माने का भी है खतरा
अगर कोई ग्राहक सेविंग्स अकाउंट में मिनिमम बैलेंस नहीं रखता है। तो उसे जुर्माना तक भरना पड़ सकता है। बैंक के नियमों के मुताबिक जुर्माने से बचने के लिए सभी खातों में मिनिमम बैलेंस बरकरार रखना होता है। जो कि ग्रामीण, अर्धशहरी, शहरी शहरों में अलग-अलग है। वहीं अगर आप बैंक बैलेंस नहीं रखते हैं। तो आप पर पेनल्टी बढ़ती जाती है और बाद में ये एक मोटा अमांउट बन जाता है।
ITR फाइल करने में होगी परेशानी
जब भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होती है। तो करदाता को रिटर्न फाइलिंग में हर अकाउंट का ब्यौरा देना होता है। ज्यादा बैंक अकाउंट होने के कारण कागजी कार्रवाई में परेशानी होती है। वहीं अगर किसी अकाउंट की आप जानकारी भरना भूल जाते हैं। तो आयकर विभाग की ओर से नोटिस तक भेजा जा सकता है। इसलिए आप बेकार के अकाउंट को बंद करवा दें।
हो जाता है खाता बंद
अगर किसी बैंक अकाउंट में कई समय तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं होती है। तो ऐसी सूरत में बैंक आपके खाते को इनएक्टिव अकाउंट मान लेता है। किसी इनएक्टिव अकाउंट में अगले 12 महीने तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं होती है तो बैंक उसे डॉर्मेंट अकाउंट की श्रेणी में डाल देता है। इनएक्टिव अकाउंट में ट्रांजेक्शन करने के लिए बैंक मना नहीं करते लेकिन किसी डॉर्मेंट अकाउंट से आप नेट बैकिंग, एटीएम ट्रांजेक्शन या फोन बैंकिग नहीं कर सकते। यहां तक की बैंक डेबिट कार्ड, चेक बुक और पता बदलने के लिए भी मना कर देता है।