18 दिनों से एक ही नाव पर दिन गुजार रहे हैं 72 रोहिंग्या मुस्लिम, भारत सरकार ने की इस तरह से मदद
बांग्लादेश ने रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस लेने से मना कर दिया है। दूसरी तरफ काफी संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी अभी भी भारत आने की कोशिश में हैं। भारत सरकार द्वारा हाल ही में बांग्लादेश को एक नोट जारी किया गया था। जो कि रोहिंग्या शरणार्थियों से जुड़ा हुआ था। लेकिन अभी तक इस नोट का जवाब नहीं आया है। पिछले शनिवार को दोनों देशों के बीच गृह सचिव स्तर की बातचीत भी हुई थी और उस दौरान भारत ने बांग्लादेश को इन शरणार्थियों को वापस लेने को कहा था। लेकिन बांग्लादेश इन शरणार्थियों को वापस नहीं लेना चाहता है।
बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा, “वे बांग्लादेशी नागरिक नहीं हैं और तथ्य ये है कि वे म्यांमार के नागरिक हैं। वे बांग्लादेश की समुद्री सीमा से 1,700 किलोमीटर दूर मिले थे इसलिए उन्हें लेने की हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। वहीं बांग्लादेश के कॉक्स बाजार से एक नाव में सवार होकर 81 रोहिंग्या रिफ्यूजी समुद्र में काफी दिनों से भटक रहे हैं। इन लोगों की नाव का इंजन 15 फरवरी को फेल हो गया था। जिसके बाद से ये लोग समुद्र में इधर-उधर भटक रहे हैं।
इन लोगों की मदद भारत सरकार द्वारा की गई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार, भारत ने इन लोगों के लिए खाना और मेडिकल सहायता कोस्ट गार्ड्स के जरिए भिजवाई थी। 81 लोगों में से 8 की मौत भुखमरी और बेहद चुनौतीपूर्ण स्थितियों के चलते हो गई। जबकि एक ने नाव से छलांग लगा दी। इन लोगों में 64 महिलाएं और लड़कियां, 26 पुरुष और लड़के थे है। जो कि 11 फरवरी को निकले थे।
सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार ये नाव थाईलैंड या मलेशिया की ओर जा रही थी। वहीं महिलाओं और बच्चों की ज्यादा संख्या देखकर ऐसा लगता है कि इनकी तस्करी हो रही थी। श्रीवास्तव ने कहा कि हम समझते हैं कि नाव पर मौजूद 47 लोगों के पास बांग्लादेश के UNHCR ऑफिस से जारी आईडी कार्ड्स हैं। जिनपर लिखा है कि वे विस्थापित म्यांमार नागरिक हैं। UNHCR के लिए बांग्लादेश की सरकार के साथ रजिस्टर्ड हैं। इस घटना से UNHCR की गतिविधियों पर भी सवाल खड़े होते हैं। जिसका जिम्मा शरणार्थियों की निगरानी का है, खासतौर से अगर तस्करी मकसद था।
वहीं बांग्लादेश के सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, कॉक्स बाजार में रिफ्यूजी कैंम्पों की आबादी में हर साल 64,000 का इजाफा हो रहा है। म्यांमार ने उन्हें ये कहते हुए वापस लेने से मना कर दिया है कि वे बांग्लादेश मूल के हैं।
इसी महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश की यात्रा करने वाले हैं। ऐसे में इस मुद्दे पर भी बात हो सकती है और दोनों देश कूटनीतिक के तहत समस्या का हल निकल सकते हैं। गौरतलब है कि भारत सरकार ने कई सारे रोहिंग्या शरणार्थियों को शरण दी है। लेकिन अब ये लोग वापस से बांग्लादेश जाने से मना कर रहे हैं। ऐसे में ये भी भारत सरकार के लिए एक चुनौती है।