इस वजह से पहली बार नाबालिग की शादी को जज ने बताया वैध, दो साल पहले भागकर की थी शादी
बिहार की एक अदालत ने नाबालिग प्रेमी जोड़े की शादी को कानूनी ठहराया है। शादी के समय लड़की की आयु 16 वर्षीय थी। जबकि लड़के की आयु 17 साल की थी। ऐसे में कानून के हिसाब से इनका विवाह जायज नहीं है। लेकिन किशोर न्याय परिषद नालंदा के प्रधान न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्रा ने नाबालिग प्रेमी जोड़े की शादी को जायज माना है। शुक्रवार को न्याय परिषद ने ये फैसला सुनाया है। दरअसल नवजात एवं उसकी मां के जीवन की सुरक्षा को देखते हुए ये फैसला दिया गया है। जिसके साथ ही नाबालिग की शादी को मान्यता देने वाला ये देश का प्रथम मामला बन गया है।
दो साल से चल रही थी सुनवाई
नालंदा जिले के नूरसराय थाना क्षेत्र की लड़की को दूसरी जाति के लड़के से प्यार हो गया था। इन दोनों ने भागकर शादी कर ली थी। ये नाबालिग थे। जिसके बाद लड़की के पिता ने लड़के व उसके परिवार के लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवाया था और इन सभी पर अपनी बेटी के अपहरण का आरोप लगाया था। पुलिस ने इस मामले को किशोर न्याय परिषद को स्थानांतरित कर दिया गया था। इस मामले की सुनवाई दो साल तक चली।
जांच में आरोपित लड़के की मां, पिता एवं दोनों बहनों पर आरोप सिद्ध नहीं हुआ। वहीं लड़की ने भी कोर्ट के सामने अपना बयान दिया और बताया कि वो अपनी मर्जी से घर से भागी थी। इस घटना के छह महीने बाद 13 अगस्त 2019 को न्यायालय के समक्ष लड़की ने ये बयान दिया था। लड़की ने जज से कहा था कि मेरे माता-पिता मेरी इच्छा के विरुद्ध शादी करना चाहते थे। मैं प्रेमी के साथ शादी कर पिछले छह महीने से दम्पति के रूप में रह रही हूं। इस दौरान मैं गर्भवती भी हो गई थी, लेकिन गर्भपात हो गया। अब ये लड़की चार माह के नवजात के बच्चे की मां बन गई है।
इस मामले में न्यायाधीश ने पाया कि लड़की के पिता उसे अपनाने से इनकार कर चुके हैं। लड़की की उम्र 18 और लड़के की 19 वर्ष हो चुकी है। लड़की को उसके पिता के घर जाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। वहीं लड़के ने भी किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।
इस पूरे मामले पर पिता की प्रतिक्रिया भी ली गई और पिता ने कोर्ट से कहा कि अब वे बेटी को भूल चुके हैं और उसे बेटी नहीं मानते। ऐसे में उसे पिता के घर भेजा गया तो ऑनर किलिंग की घटना की संभावना है। दो साल तक केस चलने के बाद जज इस फैसले पर पहुंचे की ऐसे में लड़की और उसके चार माह के पुत्र के हित के लिए ये शादी जायज है और लड़की अपने पति के घर रह सकती है। कोर्ट ने इस मामले में लड़की के सास-ससुर को निर्देश भी दिया है और कहा है कि अपनी बहू एवं पोते की उचित देखभाल करे। इतना ही नहीं आरोपी लड़के को भी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है और बाल सुधार गृह में रखने के निर्णय को वापस ले लिया है। कोर्ट ने पाया कि युवक पत्नी और बच्चे की उचित देखभाल करने में सक्षम है।