यह एक काम करने में आदमी को कभी नहीं करना चाहिए शर्म, वर्ना ज़िन्दगी बन सकती है नर्क
भारतीय इतिहास में महान आचार्य चाणक्या का एक प्रमुख स्थान है. सदियों पहले जन्में आचार्य चाणक्य का नाम आज भी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. उन्हें भारतीय इतिहास में एक प्रमुख स्थान प्राप्त है. आचार्य चाणक्य एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं, जिनके बारे में हर कोई जानना चाहता है. उनसे हर कोई जुड़ना चाहता है. क्योंकि उन्होंने अपने नीति शास्त्र चाणक्य नीति में कई ऐसी बातें कही है, जो आज भी व्यक्ति विशेष और समजा में बहुत कारगर साबित होती है.
आचार्य चाणक्य न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में जाने जाते हैं. सदियों पहले आचार्य चाणक्य ने कई ऐसी बातें कही है, जिन पर अगर लोग अमल करें तो वे अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं और एक बेहतर जीवन के हक़दार बन सकते हैं. ऐसे ही आचार्य चाणक्य ने कहा है कि, ‘अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के समान है जो थोड़ा अजीब लगता है लेकिन स्वंय को चमकदार और साफ कर देती है.’
आचार्य चाणक्य की इस बात का सीधा सा मतलब है कि, यदि हम किसी भी प्रकार की गलती करते हैं चाहे वह छोटी हो या फिर बड़ी. हमे उस गलती को स्वीकार करने में देर कतई नहीं लगाना चाहिए. आचार्य चाणक्य ऐसे लोगों को लेकर कहते हैं कि, ऐसे लोग जीवन में हमेशा तरक्की की ओर अग्रसर होते हैं. उन्हें जीवन में बहुत कुछ हासिल होता है. ऐसे लोग अन्य लोगों से कुछ हटकर होते हैं.
आपको आज के समय में आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही थोड़े कठिन या नापसंद लगे, लेकिन आपको यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि उनके द्वारा कही गई बातों में गहराई होती है. गहराई पर उनकी बातों पर विचार करने के बाद ये मानव जीवन के लिए फायदेमंद ही होती है.
दोस्तों इस बात से हर कोई वाक़िफ़ है कि यह आवश्यक नहीं है कि, मनुष्य कैसा भी या कोई भी काम करें तो उसे उस कार्य में सफ़लता ही प्राप्त हो. चाहे कोई कितना भी शिक्षित या अनुभवी ही क्यों न हो. हर इंसान से कोई न कोई गलती जरूर होती है. इंसान को गलतियों की कठपुतली भी कहा जाता है. ऐसे में गलती करना कोई ताज्जुब या अपमान की बात नहीं है. बल्कि इससे भी बड़ी बात उस गलती को स्वीकार करना होती है. आज के समय में ऐसा बहुत कम ही होता है जब कोई भी अपनी गलती को स्वीकार करता हो और उससे सबक लेता हो. लेकिन गलती से सबक लेने और स्वीकार करने पर मानव के व्यक्तित्व और उसके गुणों के बारे में पता चलता है.
निखरता है व्यक्तित्व…
आचार्य चाणक्य की इस बात का साफ़ मतलब है कि, जो भी व्यक्ति आगे रहकर अपनी गलती को स्वीकार करा है, अपनी गलती के लिए सामने वाले व्यक्ति से आगे रहकर क्षमा मांगता है ऐसा व्यक्ति खुद की नज़रों के साथ ही सामने वाले की नज़रों में भी सम्मान पाता है. ऐसा करने वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व भी दुनिया के सामने निखरकर आता है. साथ ही ध्यान रखें ही गलती मानने या स्वीकार करने वाल व्यक्ति कभी भी छोटा या बड़ा नहीं होता है. आपको यह थोड़ा अजीब अवश्य लग सकता है, लेकिन यह मानव के लिए ही उपयोगी साबित होता है.