जानें सत्यनारायण पूजा का व्रत, महत्व व पूजा विधि, सारे संकट हो जाएंगे दूर
आज माघ पूर्णिमा है और माघ पूर्णिमा के दिन व्रत रखना काफी फलदायक होता है। व्रत के अलावा इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा भी की जाती है। इस साल माघ पूर्णिमा पर उपछाया चंद्रग्रहण होने से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। जो कि शुभ होता है। माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान, दीप दान, तुलसी पूजन करने से कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और मनचाही चीज भी मिल जाती है।
वैसे तो पूर्णिमा की उदय तिथि 27 फरवरी को है। लेकिन पूर्णिमा का व्रत 26 फरवरी को रखा जाएगा। इस व्रत का समापन शाम के समय किया जाता है। व्रत का समापन चंद्रमा को अर्घ्य देकर किया जाता है।
क्यों की जाती है श्रीसत्यनारायण का व्रत –
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने खुद इस व्रत व पूजा का वर्णन किया था। देवर्षि नारद जी के पूछने पर भगवान विष्णु ने उन्हें सत्यनारायण की पूजा का महत्व एवं इसके लाभ बताए थे। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री सत्यनारायण को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। कहा जाता है कि जो भी सत्यनारायण भगवान की पूजा करता हैं उनपर भगवान विष्णु की कृपा बन जाती है।
स्कंद पुराण में भगवान सत्यनारायण की पूजा का जिक्र करते हुए एक कथा बताई गई है। कथा के अनुसार एक बार नारद जी मृत्युलोक का भ्रमण करने निकले थे। इस दौरान इन्होंने देखा कि मृत्युलोक में प्राणियों को अपने-अपने कर्मों के अनुसार तरह-तरह के दुख दिए जा रहे हैं। ये देखकर नारद जी को अच्छा नहीं लगा और वो सीधे भगवान विष्णु के पास चले गए। इन्होंने भगवान से कहा कि ‘हे नाथ! यदि आप मेरे ऊपर प्रसन्न हैं तो मृत्युलोक के प्राणियों के कष्ट हरने वाला कोई छोटा-सा उपाय बताए। ये सुनकर इन्होंने कहा कि ‘हे वत्स! तुमने विश्वकल्याण की भावना से बहुत सुंदर प्रश्न किया है। आज मैं तुम्हें ऐसा व्रत बताता हूं जो स्वर्ग में भी दुर्लभ है और महान पुण्यदायक है। ये व्रत करने से परलोक में मोक्ष प्राप्त होती है। जो लोग श्रीसत्यनारायण व्रत रखते हैं उन्हें इन कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। इसे विधि-विधान से करने पर मनुष्य सांसारिक सुखों को भोगकर परलोक में मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
व्रत रखने से जुड़े अन्य लाभ
स्कंद पुराण के अनुसार घर में श्रीसत्यनारायण की पूजा करने से सुख समृद्धि परिवार में बनीं रहती है और अनेकों लाभ मिलते हैं। आर्थिक परेशानी कभी नहीं आती है। घर, जमीन जैसे आर्थिक संसाधनों में वृद्धि होती है। बृहस्पति के ग्रह प्रभाव से मुक्ति मिल जाती है और हर कार्य में सफलता मिलती है।
इस तरह से रखनें व्रत
– माघ पूर्णिमा के दिन के पवित्र नदी में स्नान करें। अगर आप घर में ही स्नान करते हैं तो नहाने वाले पानी में गंगा जल मिला देँ।
– इसके बाद मंदिर में एक चौकी रखें और उसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछा दें। फिर भगवान सत्यनारायण की मूर्ति स्थापित कर पूजा शुरू करें। व्रत रखने का संकल्प लें और इनसे जुड़ी कथा को पढ़ें।
– शाम के समय दीप दान करें और तुलसी पूजन भी जरूर करें। तुलसी पूजन करते समय इस पौधे के सामने दो दीपक जला दें।
– चंद्रमा निकलने के बाद भगवान सत्यनारायण की पूजा करें और चौकी के पास एक गड़बी में जल भर कर रख दें। पूजा खत्म होने के बाद इस जल से चंद्र देवता को अर्घ्य देकर व्रत खोल लें।