40 साल तक लिव-इन में रहने के बाद बेटे-बहू संग लिए सात फेरे, एक की मंडप पर रचाया ब्याह
झारखंड में एक जोड़े ने 40 साल तक एक साथ रहने के बाद 16 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन सात फेरे लिए। सामूहिक विवाह के मौके पर इन्होंने शादी की और इस दौरान इनके बेटे की भी शादी करवाई गई। 62 साल के पाको झोरा और 56 साल की सोमारी देवी 40 सालों से एक साथ रह रहे थे। इस दौरान इनको एक बेटा भी हुआ। लेकिन इनके रिश्ते को समाज की ओर से मान्यता नहीं दी गई। जिसके कारण इतने साल साथ रहने के बाद भी ये पति-पत्नी नहीं थे। वहीं बसंत पंचमी के मौके पर स्वयंसेवी संस्था निमित्त के जरिए सामूहिक विवाह आयोजित किया गया था और इस दौरान पाको झोरा और सोमारी देवी ने सात फेरे लिए।
पाको झोरा और सोमारी देवी के अलावा इनके बेटे जितेंद्र ने भी अपनी पत्नी के साथ इस मौके पर विवाह किया। दरअसल माता-पिता की औपचारिक शादी नहीं हुई थी। इसलिए उसे भी दंपती के रूप में मान्यता नहीं मिली थी। इनके अलावा ओर भी कई तरह के लोगों ने इस अनूठे सामूहिक विवाह में शादी की। किसी विवाह मंडप पर बाप- बेटे ने साथ में ही विवाह किया। तो कोई अपने नाती-पोतों को गोद में लेकर फेरे ले रहे थे। दिव्यांग बिनु मुंडा और सुकृता कुमारी ने भी इस दौरान औपचारिक शादी की। यहां शादी करने वाले अधिक लोग पहले से ही शादीशुदा था। लेकिन इनके विवाह को मान्यता नहीं मिली हुई थी। जिसके कारण इनका विवाह वैध नहीं था। ऐसे होने से इन लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था।
पंडित, पादरी ने कराए विवाह
स्वयंसेवी संस्था निमित्त के जरिए हुए इस समारोह में हिंदू युगलों का विवाह पंडित ने कराया तो ईसाई का पादरी ने। वहीं इन रिश्तों को सामाजिक मान्यता दिलाने का बीड़ा एनजीओ निमित्त ने उठाया। निमित्त की सचिव निकिता ने बताया कि झारखंड के गांवों में सैकड़ों युगल ऐसे हैं, जिनका औपचारिक विवाह नहीं हुआ है। उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि ये युगल विवाह का खर्च उठा सकें।
इसलिए है विवाह का वैध
पति की मृत्यु होने पर पत्नी व बच्चों को संपत्ति में अधिकार नहीं दिया जाता है। यहां तक कि बच्चों के कान तक नहीं छेदे जाते। महिलाओं की असामयिक मृत्यु पर उन्हें कब्रगाह में स्थान नहीं मिलता है। बगैर विवाह के पत्नी के रूप में रहने वाली महिलाओं को कई समस्या का सामना करना पड़ता है। इसलिए यहां पर एक साथ 55 युगलों ने औपचारिक विवाह किया गया।