अध्यात्म

स्टील के बर्तन फेंक देंगे, बस एक बार पढ़ लें पीतल के बर्तनों का ज्योतिषीय एवं वैज्ञानिक महत्व

आजकल हर घर में आपको स्टेनलेस स्टील के चमचमाते बर्तन देखने को मिल जाएंगे। पीतल के बर्तन अब किचन से जैसे गायब से हो गए हैं। पुराने जमाने में हर घर में पीतल के बर्तन मिला करते थे। लोग इसमें ही खान पकाते थे। पीतल से बनी चीजों का उपयोग पूजा पाठ में भी किया जाता है। आज हम आपको पीतल के बर्तन इस्तेमाल करने के धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक महत्व बताने जा रहे हैं।

पीतल का धार्मिक लाभ

पीतल (ब्रास) एक मिश्रित धातु होती है। तांबा व जस्ता मिलाकर इसे बनाया जाता है। पीतल शब्द की उत्पत्ति पीत से हुई है। संस्कृत में पीत का मतलब पीला होता है। हिन्दू धर्म में पीला रंग भगवान विष्णु को संबोधित करता है। सनातन धर्म में जब भी कोई पूजा पाठ या धार्मिक कार्य होता था तो उसमें सिर्फ पीतल के बर्तन का ही इस्तेमाल होता था।

वेदों के खंड आयुर्वेद के मुताबिक भगवान धन्वं‍तरि को पीतल के बर्तन अतिप्रिय होते हैं। महाभारत में एक वृत्तांत देखने को मिलता है जिसके मुताबिक द्रौपदी को सूर्यदेव ने पीतल का अक्षय पात्र वरदान के रूप में भेंट किया था। इस पात्र की खासियत ये थी कि द्रौपदी इससे जीतने भी लोगों को भोजन करवा दें इसमें मौजूद खाना कम नहीं होता था।

पीतल का ज्योतिषीय लाभ

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक देवगुरु बृहस्पति को पीतल जैसा पीला रंग संबोधित करता है। इसके अलावा पीतल पर देवगुरु बृहस्पति का आधिपत्य होता है। इसलिए जब भी  बृहस्पति ग्रह की शांति करानी होती है तो पीतल का इस्तेमाल होता है। इस दौरान ग्रहों की शांति और ज्योतिष अनुष्ठानों में पीतल के बर्तन दान में दिए जाते हैं।

पीतल का वैज्ञानिक लाभ

पीतल का इस्तेमाल सिर्फ धार्मिक या ज्योतिषीय दृष्टि से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी होता है। पीतल में बने भोजन का सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे भोजन स्वादिष्ट तुष्टि प्रदान करता है। इससे की बियारियाँ दूर होती है और शरीर को तेज की प्राप्ति होती है।

पीतल के बर्तन जल्दी गरम हो जाते हैं जिसके चलते ऊर्जा की भी बचत होती है। ये मजबूत होता है और जल्दी टूटता भी नहीं है। पीतल के बने कलश में जल रखने से अत्यधिक ऊर्जा मिलती है। पीतल से थाली, कटोरे, गिलास, लोटे, गगरे, हंडे, देवताओं की मूर्तियां व सिंहासन, घंटे, वाद्ययंत्र, ताले, पानी की टोंटियां, मकानों में लगने वाले सामान और गरीबों के लिए गहने इत्यादि चीजें बनाई जाती हैं।

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