जन्म से ही बच्चे में आ जाते हैं ये 4 गुण, बाहरी दुनिया से मिल पाना होता है नामुमकिन
कहा जाता है कि, कोई भी व्यक्ति अपने गुणों और कर्मों के कारण ही श्रेष्ठ और लोगों का प्रिय बनता है. जो व्यक्ति अपने पास गुणों का भंडार रखता है वह सभी को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है. हर जगह, हर क्षेत्र में उस व्यक्ति के लोग मुरीद रहते हैं. वहीं ऐसा व्यक्ति जो गुणहीन हो, उसका जीवन नर्क के समान होता है. उसे कहीं भी मान-सम्मान प्राप्त नहीं होता है.
महान आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कई ऐसी बातों को जगह दी है. इन्हीं में से एक उन्होंने बताया है कि, कुछ गुण ऐसे होते है जो मानव के भीतर जन्म के साथ ही प्रवेश कर जाते हैं. अतः उनका मानना है कि, व्यक्ति में कुछ गुण जन्म के साथ ही होते हैं, उन्हें बाद में अर्जित नहीं किया जा सकता है. आचार्य चाणक्य एक श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि, ‘दातृत्वं प्रियवक्तृत्वं धीरत्वमुचितज्ञता, अभ्यासेन न लभ्यन्ते चत्वारः सहजा गुणाः॥’. आइए आपको विस्तार से चाणक्य के इस श्लोक के बारे में बताते हैं…
दान देने की इच्छा…
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, कोई भी व्यक्ति दान देता है तो यह उसका जन्मजात गुण है. न कि उसे इसके लिए बाहरी दुनिया में आकर अभ्यास करना पड़ता है. इसे अभ्यास से प्राप्त करना मुश्किल है.
वाणी में मधुरता…
वाणी में मधुरता. यह व्यक्ति में मौजूद सबसे बड़े गुणों में से एक होता है. इस गुण से व्यक्ति किसी का भी आसानी से दिल जीत सकता है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यह भी जन्मजात गुण है. इसे भी बाहर से सीखना हमारे लिए मुश्किल है.
धैर्य…
आज की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में अक्सर देखने को मिलता है कि लोगों में धैर्य का बहुत अभाव है. जल्दबाजी में लोग गलत काम कर बैठते है. बाद में उन्हें इसका बहुत भरी ख़ामियाजा भुगतना होता है. अतः अगर आपमें धैर्य है या आपको किसी में यह गुण दिखाई दे तो समझ जाए कि उसे यह गुण भगवान से तोहफ़े के रूप में प्राप्त हुआ है.
उचित या अनुचित का ज्ञान..
उचित या अनुचित का ज्ञान होना यह गुण भी किसी व्यक्ति में जन्म के साथ ही आ जाता है. इसे भी बाहर से अर्जित करना या प्राप्त करना ऊपर बताए गए तीनों गुणों की तरह ही बहुत मुश्किल है. यह गुण हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण साबित होता है. मानव को इस बात की जानकारी जरूर होनी कि क्या उसके लिए सही है और क्या उसके लिए गलत है.