खालिस्तानी समर्थक पीटर के कहने पर निकिता ने बनाई थी टूलकिट, मोबाइल व लैपटॉप से मिले सबूत
दिल्ली पुलिस से जुड़े हुए सूत्रों ने दावा किया है कि उनके पास निकिता जैकब को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त सूबत है, जो कि पुलिस को निकिता के घर की तलाशी के दौरान मिले हैं। दरअसल टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस ने निकिता जैकब को भी आरोपी बनाया है और 11 फरवरी को दिल्ली पुलिस की टीम ने निकिता जैकब के मुंबई स्थित घर की 13 घंटे तक तलाशी ली थी। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट से निकिता जैकब को राहत मिल गई है और अदालत ने निकिता को तीन हफ्ते की ट्रांजिट अग्रिम जमानत दे दी है। लेकिन दिल्ली पुलिस सूत्रों का कहना है कि उनके पास निकिता की गिरफ्तारी के लिए सबूत हैं।
तलाशी के दौरान पुलिस ने निकिता के दो लैपटॉप, एक आईफोन और कुछ दस्तावेज अपने कब्जे में लिए थे। निकिता के मोबाइल फोन और लैपटॉप की जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि निकिता सीधे खालिस्तानी समर्थक पीटर फ्रेडरिक के संपर्क में थी और खालिस्तानी संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का ईमेल भी इस्तेमाल कर रही थी। शांतनु और निकिता के कहने पर ही दिशा रवि ने स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग से बात की थी और उन्हें टूलकिट भेजी थी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार पुलिस ने अचानक से ही निकिता के घर पर छापेमारी की थी। जिसके कारण ही पुलिस के हाथ ये सबूत लग सके। व्हाटसऐप चैट से पुलिस को पता चला है कि पीटर फ्रेडरिक से वो लगातार चैट कर रही थी। एक चैट में वो पीटर से पूछ रही थी कि कैसे सुरक्षित सारे काम किए जा सके।
आपको बता दें कि विदेशों में बैठे एमओ धालीवाल और पीटर फ्रेडरिक ने किसान आंदोलन को बड़ा बनाने का काम किया है और इसके माध्यम से ये खालिस्तान का मुद्दा उठा रहे हैं। ये लोग दिसंबर से ही प्लानिंग कर रहे थे। पुलिस सूत्रों का कहना है कि निकिता और शांतनु मुलुक पहले से पाएटिक जस्टिस फाउडेशन से जुड़े थे। इसके अलावा ये पर्यावरण की एनजीओ -एक्सआर- से भी जुड़े हुए थे। यहां से ही ये दिशा के संपर्क में आए।
शांतनु ने मेल आईडी से टूलकिट का निर्माण करवाया। निकिता और दिशा ने उसमें एडिटिंग की। ये टूलकिट दुनियाभर के सेलिब्रिटीज को भेजी जानी थी। इसलिए निकिता के कहने पर दिशा ने अपनी जानकार स्वीडन की ग्रेटा थनबर्ग को बिना एडिट की हुई टूलकिट दी। गलती से इस टूलकिट में इनके नाम भी चले गए। जिसके बाद इसे तुरंत डिलीट करवाया और एडिट की हुई टूलकिट भेजी गई। लेकिन तब तक इनकी पोल खुल चुकी थी। दिशा को पता था कि वो फंस सकती है। इसलिए उसने तीन फरवरी से ही अपने मोबाइल व लैपटॉप से सबूत मिटाना शुरू कर दिए।
पुलिस अब मामले में दिशा, निकिता और शांतनु के बैंक अकाउंट की जांच करने वाली है और एक साल की डिटेल खंगाली जाएगी। इसके जरिए पुलिस ये पता लगाने की कोशिश करेगी कि टूलकिट मामले की फंडिंग किसने की है। गौरतलब है कि दिशा इस समय दिल्ली पुलिस की हिरासत में है।