मंडी रियासत के राजा अशोक पाल सेन ने कहा दुनिया को अलविदा, 90 साल की आयु में ली अंतिम सांस
हिमाचल प्रदेश की मंडी रियासत के राजा अशोक पाल सेन का निधन हो गया है। ये लंबे समय से बीमार थे और मंगलवार को इन्होंने मंडी राजमहल परिसर में स्थित भवानी निवास में अपने जीवन की अंतिम सांस ली है। इनकी आयु 90 साल थी। इनकी मौत की खबर पर हर किसी ने दुख जताया है। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार के अनुसार ये दो सालों से शारीरिक विषमताओं से जूझ रहे थे। ये दो साल से टांगों में दिक्कत के चलते व्हील चेयर पर ही रहते थे। इनकी बेटी इनका ख्याल रखती थी।
इनका जन्म मंडी रिसासत में राजा जोगिंदर सेन के घर 5 अगस्त 1931 को हुआ था। अशोक पाल सेन कुल्लू के राजा व पूर्व सांसद महेश्वर सिंह के बहनोई थे। इनका एक बेटा ओमेश्वर सिंह व बेटी सिद्धेश्वरी है। निधन के वक्त बेटा ओमेश्वर दिल्ली में थे जो देर शाम मंडी पहुंच गए हैं। बुधवार को सुबह 10 बजे इनकी अंतिम यात्रा भवानी निवास से चलेगी। इनका अंतिम संस्कार बुधवार को ब्यास नदी किनारे पंचवक्तर मंदिर परिसर में किया जाएगा।
राज परिवार के अनुसार मंडी जिला प्रशासन को सूचित कर दिया गया है और बताया गया है कि प्राचीन समय से चली आ रही परंपरा के अनुसार ही मंडी के राजा का अंतिम संस्कार ब्यास नदी किनारे पंचवक्तर मंदिर के साथ किया जाएगा। इसके अलावा अंतिम संस्कार के मौके पर राज परिवारों से जुड़ी कई हस्तियां शामिल हो सकती हैं।
बंद रहेगा बाजार
इनके निधन पर मंडी व्यापार मंडल ने शोक जाहिर किया है और बुधवार को आधा दिन के लिए बाजार बंद रखने का निर्णय लिया है। व्यापार मंडल के प्रधान राजेश महेंदू्र व महासचिव प्रशांत बहल ने इस बात की जानकारी दी और कहा कि मंडी व्यापार मंडल ने बुधवार की आधे दिन तक बाजारों को बंद करने का फैसला किया है।
अशोक पाल सेन को वर्ष जून 1986 में गद्दी सौंपी गई थी। इनके पिता मंडी के राजा थे और पिता जोगिंदर सेन के निधन के बाद इन्हें ये गद्दी सौंपी गई थी। वहीं अब इनके निधन के बाद इनके बेटे ओमेश्वर सिंह को राजा बनाया जाना है। दरअसल सरकारी तौर पर राजाओं का शासन खत्म हो चुका है। लेकिन राज परिवारों की अंदरूनी व्यवस्था को देखते हुए ओमेश्वर सिंह को तिथि तय करके अगला राजा घोषित किया जाएगा।
राजा अशोक पाल सेन के निधन से इस बार शिवरात्रि महोत्सव पर भी असर पड़ सकता है। शिवरात्रि महोत्सव के दौरान जिला के प्रमुख देवी देवता की सबसे पहले राजा ही पूजा करते हैं। लेकिन राजा की मौत के कारण इस बार शिवरात्रि महोत्सव सादगी के साथ मनाया जा सकता है। हालांकि अभी तक इस बारे में कोई घोषणा नहीं की गई है।