गुप्त नवरात्रि: दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले पढ़ लें ये नियम, वरना नाराज हो जाएगी देवी
आज यानि 12 फरवरी से गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है। माघ मास की यह गुप्त नवरात्रि 21 फरवरी तक चलेगी। गुप्त नवरात्रि का भी अपना एक अलग महत्व होता है। इन दिनों गुप्त साधनाएं करने से अच्छा फल प्राप्त होता है। धर्म ग्रंथों की माने तो गुप्त नवरात्रि में रोज दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से देवी मां प्रसन्न होकर मनचाहा फल प्रदान करती है।
हालांकि दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय आपको कुछ नियम कायदों को ध्यान में रखना चाहिए। यदि आप गलत तरीके से ये पाठ करते हैं तो शुभ की बजाय हानिकारक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। ऐसे में आज हम आपको दुर्गा सप्तशती से जुड़े कुछ खास नियम बताने जा रहे हैं।
1. दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले आपके तन और मन दोनों का शुद्ध होना अतिआवश्यक होता है। इसलिए इस दिन अच्छे से स्नान करें, चाहे तो नहाने के पानी में गंगाजल भी मिला दें। इसके अलावा पाठ करते समय आपके मन में कोई कटु भाव भी नहीं होना चाहिए।
2. दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय कुशा के आसन पर बैठना उचित होता है। लेकिन ये आपको न मिल पाए तो ऊन के बने आसान का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
3. इस पाठ को करने से पूर्व साफ और स्वच्छ कपड़े ही धरण करे। ऐसे कपड़े जो धुले हुए रखे हैं और जिन्हें आप ने पहना नहीं हो।
4. पाठ पढ़ने से पहले अपने माथे पर चंदन या रोली का तिलक लगाएं। साथ ही गणेश जी एवं अन्य देवी देवताओं को प्रणाम कर नमन करें।
5. पाठ पढ़ने से पहले उसका संकल्प भी लेना जरूरी होता है। यह संकल्प आप लाल पुष्प, अक्षत एवं जल माता रानी को अर्पित करते हुए ले सकते हैं।
6. पाठ को शुरू करने के पूर्व उत्कीलन मंत्र का जाप करना चाहिए। यह मंत्र पाठ के शुरू और आखिरी में 21 बार जपें।
7. यह सब करने के बाद पूर्ण ध्यान केंद्रित कर मां दुर्गा सप्तशती पाठ पढ़ना शुरू करें। आपकी सभी इच्छाएं जल्द पूर्ण होगी।
8. दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय अपनी आवाज न तो बहुत धीमी और न ही बहुत तेज रखें।
9. कोशिश करें कि आप दुर्गा सप्तशतीपाठ के सभी शब्दों का उच्चारण स्पष्ट रूप से करें।
10. यदि एक दिन में पाठ पूर्ण न हो पाए तो एक अध्याय एक बार में समाप्त जरूर करें।
11. नवरात्रि में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए। अपने विचारों को सात्विक रखना उचित होता है।
12. नवरात्रि में नॉनवेज भोजन करने से भी हर हाल में बचे। अन्यथा पाठ का फल नहीं मिलेगा।