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जल्द बंद हो सकता है भारत में ट्विटर, भारत सरकार को लोकत्रंत समझाना पड़ा महंगा

किसान आंदोलन का असर अब हर जगह देखने को मिल रहा है. यह मामला अब माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर और भारत सरकार के बीच बढ़ते मतभेदों की वजह भी बन रहा है. इसी सिलसिले में भारत सरकार के आईटी सेक्रेटरी और ट्विटर के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच एक वर्चुअल मीटिंग हुई. इस मीटिंग की पुष्टि खुद भारत सरकार ने की.

मंत्रालय के सचिव और ट्विटर की वाइस प्रेसिडेंट (ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी) मोनिके मेशे ने इस मुद्दे पर आपस में बातचीत की. जानकारी के मुताबिक भारत सरकार की तरफ से ट्वीटर को सरकारी नियमों को पूरी तरह से मानने और लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान बनाए रखने के लिए कहा गया है. ट्विटर पर भारत सरकार ने बुधवार को किसान आंदोलन के बारे में दुष्प्रचार और भड़काऊ बातें फैला रहे अकाउंट और हैशटैग के खिलाफ तुरंत एक्शन न लेने पर कड़ी आपत्ति जताई है.

इसके साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कंपनी के खुद के चाहे कितने भी नियम हो. कंपनी को भारत में भारत के नियम और कानून का पालन तो करना ही होगा. इतना ही नहीं मंत्रालय ने इस सोशल मीडिया प्लेटफार्म से टकराव के दौरान अपने मंत्रियों से एक स्वदेसी अकाउंट बनवाया और उस पर अपना बयान जारी किया.

विवाद की जड़ ट्विटर का वह बयान बना जिसमे उसने अभिव्यक्ति की आजादी का भारत सरकार को हवाला देते हुए ए ‘पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के एकाउंट पर रोक लगान ऐसे मना कर दिया. ज्ञात होकि ट्विटर ने 500 से अधिक एकाउंट निलंबित कर दिए हैं. इस मीटिंग के दौरान मंत्रालय के सचिव अजय साहनी ने ट्विटर के अधिकारियों से यह भी कहा कि भारत सरकार को अभिव्यक्ति की आज़ादी के कानून के बारे में पता है. वह इसका सम्मान करती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इस आज़ादी का निरंकुश तरिके से फायदा उठाया जाए.

सरकार ने संविधान के नियमों का जिक्र
सरकार ने अपनी बात रखते हुए ट्विटर अधिकारीयों से कहा कि प्रतिबंधों की यह बात संविधान के आर्टिकल 19 (2) में उल्लेखित की गई हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भी समय-समय पर इसे लेकर तमाम फैसले दिए हैं. सरकार ने यह भी कहा कि कंपनी भारत में तभी व्यवसाय कर सकती है जब वह भारत के लोकतान्त्रिक नियमों का पालन करे. भले ही कंपनी के अपने क़ियाम कुछ भी हो. उसे भारत में रहकर भारत के नियमों का पालन करना होगा. सरकार ने अपने बयान में यह भी कहा कि किसी भी कंपनी को देश में होने पर भारतीय संसद के द्वारा पारित कानूनों का पालन किसी भी हालात में करना ही होगा.

गौरतलब है कि भारत सरकार और ट्विटर के बीच यह लड़ाई किसान आंदोलन के कारण हो रही है. किसानों द्वारा चलाये जा रहे कुछ झूठे हैश टैग और सन्देश से लोगों में गलत मैसेज जा रहा है.

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