जानें कौन हैं भारत रत्न पाने वाले पहले और आखिर उद्योगपति, जिन्होंने शुरू की थी एयर इंडिया
भारत रत्न हमारे देश का सबसे बड़ा सम्मान है और इस सम्मान से अभी तक 48 लोगों को नवाजा जा चुकी है। सबसे पहले ये सम्मान साल 1954 में दिया गया था। उस समय भारत रत्न से तीन लोगों को नवाजा गया था जो कि सी. राजगोपालाचारी, सर्वपल्ली राधाकृष्णन और सी वी रमन थे। आपको जानकर हैरानी होगी की अभी तक ये सम्मान केवल एक ही उद्योगपति को मिला है। जो कि रतन टाटा के परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा यानी जेआरडी टाटा एक मात्र ऐसे उद्योगपति हैं, जिन्हें भारत सरकार ने ये सम्मान दिया है। इन्हें साल 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। जेआरडी टाटा 53 साल तक टाटा सन्स के चेयरमैन रहे हैं और इस ग्रुप को आगे बढ़ाने में इनका काफी योगदान रहा है। जेआरडी ने सिर्फ 34 वर्ष की उम्र में टाटा सन्स के चेयरमैन पद को संभाला था। ये इस पद पर साल 1938 पर बैठके थे और इस पद पर 1991 तक बने रहे थे।
जेआरडी ने चेयरमैन बनकर इस ग्रुप की ग्रोथ को 50 गुना तक बढ़ाया था। अपने कार्यकाल में इन्होंने टाटा ग्रुप में 14 नई कंपनियां शुरू की। टाटा मोटर्स, टाटा सॉल्ट, टाटा ग्लोबल बेवरेजिस और टाइटन जैसी सफल कंपनियों की शुरुआत जेआरडी ने ही की थी। जेआरडी के कार्यकाल में टाटा ग्रुप का कुल बाजार मूल्य 10 करोड़ डॉलर से बढ़कर 500 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया था। मौजूदा समय में टाटा ग्रुप का कुल बाजार मूल्य करीब 200 अरब डॉलर है।
जेआरडी ही भारत में सिविल एविएशन इंडस्ट्री के जनक माना जेते हैं। दरअसल ये हमारे देश के प्रथम व्यक्ति थे जिन्हें साल 1929 में हवाई जहाज चलाने के लिए लाइसेंस मिला था। लाइससें मिलने के बाद इन्होंने 1932 में टाटा एयरलाइन्स की स्थापना की थी। जिसे 1946 में एयर इंडिया का नाम दिया गया। अब एयर इंडिया भारत की सरकारी एयरलाइन कंपनी बन गई है, ये काफी नुकसान में चल रही है और इसे खरीदने के लिए टाटा ग्रुप ने दिलस्चपी दिखाई है।
जेआरडी अपनी कंपनी में केवल उन्हीं लोगों को नौकरी पर रखते थे जो कि इनके द्वारा बनाई गई टाटा प्रशासनिक सेवा (TAS) को पास कर पाते थे। टाटा प्रशासनिक सेवा (TAS) भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की तर्ज पर बनाई गई थी। साल 1956 में टाटा प्रशासनिक सेवा (TAS) की शुरुआत की थी जिसका मकसद टाटा ग्रुप में युवा प्रतिभाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें लीडरशिप के लिए तैयार करना था।
जेआरडी अपने कर्मचारियों के परिवार वालों का भी काफी ध्यान रखते थे। इन्होंने अपने कर्मचारियों के लिए फ्री मेडिकल सुविधा और भविष्य निधि योजना की भी शुरुआत की थी। किसी कर्मचारी के साथ दुर्घटना होने पर उसे मुआवजा भी दिया जाता था। इतना ही नहीं जेआरडी ने ही सबसे पहले 8 घंटे की ड्यूटी तय की। इनके इन्हीं नेक कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने इन्हें भारत रत्न सम्मान से नवाजा था।