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इन 5 महारथियों की मौत का कारण बनीं द्रौपदी, जानें कैसे?

महाभारत की नायिका द्रौपदी के चरित्र को काफी प्रभावशाली बताया गया है। द्रौपदी का जन्म न सिर्फ अग्नि से हुआ, बल्कि उनका चरित्र भी अग्नि की तरह ही तेज़ है। यही वजह है कि जिस किसी ने भी द्रौपदी का अपमान किया, उसे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा। दरअसल, महाभारत की पूरी कहानी द्रौपदी के ही ईर्द गिर्द घूमती हुई नजर आती है। ऐसे में, आज हम आपको द्रौपदी से जुड़े कुछ गहरे रहस्य बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे।

महाभारत के अनुसार, द्रौपदी का जन्म ही बदला लेने के लिए हुआ था। माना जाता है कि द्रोणाचार्य से बदला लेने के लिए महाराजा द्रुपद ने दिव्य पुत्र और पुत्री को अग्नि से उत्पन्न किया था। इतना ही नहीं, द्रौपदी का विवाह पांडवों से द्रोणाचार्य से बदला लेने के लिए ही हुआ था।

द्रौपदी केवल द्रोणाचार्य ही नहीं, बल्कि कई महारथियों के मृत्यु की वजह बनीं।  दऱअसल द्रौपदी न सिर्फ अपने इरादों की पक्की थी बल्कि स्वाभिमानी भी थी। यही वजह है कि जब उनका अपमान किया गया, तो उन्होंने पांडवों को बदला लेने के लिए मजबूर कर दिया था। तो चलिए जानत हैं कि महाभारत में वे कौन से ऐसे 6 शख्स हैं, जिन्हें द्रौपदी से पंगा लेना बहुत भारी पड़ा था।

दुर्योधन

दुर्योधन जब युधिष्ठिर के राज्याभिषेक के समय इंद्रप्रस्थ पहुंचा, तो वह माया भवन को देखकर हैरान हो गया और समतल जगह समझकर वह पानी में गिर गया, जिसके बाद द्रौपदी ने उसका मजाक उड़ाया था और उसे अंधे का पुत्र अंधा कह दिया।

यह बात दुर्योधन को चुभ गई और फिर उसने जुए में द्रौपदी को दांव पर लगाने की बात कही। याद दिला दें कि दुर्योधन ने द्रौपदी को अपनी जंघा पर बैठने के लिए कहा था और फिर भीम ने उसका जंघा तोड़ने का प्रण लिया।

कर्ण

कर्ण, द्रौपदी को अपनी पत्नी बनाना चाहता था इसलिए उसने द्रौपदी स्वयंवर में भाग लिया। कर्ण जब स्वयंवर की शर्त पूरी करने के लिए आगे आया तो भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने कर्ण से विवाह करने से साफ इनकार कर दिया और उसे सूत पुत्र कहकर पूरे सभा में अपमानित किया। यह सुनकर द्रौपदी से बदला लेने की ठान ली। लिहाजा जब पांडव जुए में कौरव से हार गए तो उसने द्रौपदी को वैश्या कह दिया। इसके बाद द्रौपदी के कहने पर अर्जुन ने कर्ण को महाभारत के युद्ध में परास्त किया।

दुःशासन

 

जुए में कौरवों से हारने के दौरान जब पांडव एक के बाद एक चीजें हार रहे थे तो धर्मराज युधिष्ठिर ने अपनी पत्नी द्रौपदी को जुए में लगा दिया और द्रौपदी को भी हार गए। इसके बाद दुर्योधन के कहने पर दुःशासन ने द्रौपदी का चीरहरण किया। खैर द्रौपदी के चीरहरण करने की कीमत दुःशासन को अपनी जान गंवाकर देनी पड़ी।

दरअसल चीरहरण के बाद द्रौपदी ने ये प्रतिज्ञा ली कि वो तब तक अपने बाल खुले रखेंगी, जब तक उनके बालों पर दुःशासन के छाती का लहू नहीं लगेगा। लिहाजा महाभारत के युद्ध में भीम ने दुःशासन की छाती को चीरकर उसके लहू को द्रौपदी के बालों में लगाया।

जयद्रथ

जुए में हार के बाद पांडवों को वनवास की सजा मिली। इस दौरान दुर्योधन की बुरी नजर द्रौपदी पर पड़ गई और उसने द्रौपदी का अपहरण करना चाहा, लेकिन पांडवों ने सही समय पर जयद्रथ के चंगुल से द्रौपदी को छुड़ा लिया। पांडव तो उसी समय जयद्रथ को मार देना चाहते थे लेकिन द्रौपदी ने ऐसा करने से रोक दिया। जयद्रथ को जान से मारने की बजाए उसके बाल मुंडवाकर उसे पूरे नगर में घुमाया गया और उसकी बेइज्जती की गई।

कीचक

विराटनगर का सेनापति कीचक भी द्रौपदी पर बुरी नजर रखता था, लेकिन पतिव्रता द्रौपदी ने पहले ही कीचक को ये आगाह कर दिया था कि वो दूर रहे। मगर कीचक को अपने साहस का घमंड था और उसने द्रौपदी से पंगा ले लिया था। परिणाम ये हुआ कि भीम और अर्जुन ने मिलकर चतुराई से कीचक वद्ध कर दिया।

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