देश भर में फ्लॉप रहा किसानों का चक्का जाम, सिर्फ मुट्ठी भर लोग जुटे जो बाइक तक ना रोक पाए
केंद्र सरकार द्वारा खेती किसानी में सुधार लाने के लिए किसानों के हित में तीन किसान बिल का प्रस्ताव रखा गया था. इस बिल को देश के कुछ राज्य के किसानों ने किसान विरोधी बताते हुए विरोध शरू कर दिया था. इसके बाद इन किसानों ने देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में धरना देना शुरू कर दिया था. ये किसान दिल्ली की बॉर्डर पर जमकर बैठ गए है. इनका खाना पीना भी यही पर हो रहा है.
दिल्ली की सीमाओं पर बैठे यह किसान अमूमन पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उतर प्रदेश के साथ देश के अन्य हिस्सों के भी हैं. जब यह आंदोलन शुरू हुआ था तो इस आंदोलन में कई किसान नेता थे, पर धीरे-धीरे इसमें फुट पड़ते गई और कई किसान इस आंदोलन से अलग हो गए. अभी इस किसान आंदोलन की अगुआई भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत कर रहे है. राकेश टिकैत किसानों को भड़काने का काम भी बखूबी कर रहे हैं.
राकेश टिकैत की अगुआई में इन किसानों ने देश भर में 6 फरवरी को चक्काजाम करने का ऐलान किया था. बाद में राकेश टिकैत ने कहा था जो किसान जहां है वहीं से चक्काजाम करें. इसके बाद देश भर में किसानों ने चक्काजाम किया था. पर किसानों का यह चक्काजाम कहीं भी सफल नहीं हो पाया. इस चक्काजाम में मुट्ठी भर लोग भी जुट नहीं पाए. मध्यप्रदेश के शहर इंदौर में तो यह हाल था कि चक्काजाम करने के लिए इतने लोग भी नहीं थे कि दो पहिया वाहनों को भी रोका जा सकें. इसके अलावा देश के अन्य राज्यों में भी अमूमन यही हाल था.
6 फरवरी के चक्काजाम के पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने अपनी आदत से मजबूर किसानों को भड़काते हुए भाषण दिया था. राकेश ने अपने एक भाषण में कहा कि, हम अनाज बोते है वो कील बोते है. ये कौन सी बात हुई, हम उनकी किले काट देंगे. गौरतलब है कि सरकार और दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी जैसी घटना न हो इसके लिए, धरने स्थल के आस पास कड़े इंतज़ाम किये है. इनमे सड़को की खुदाई , सड़को पर बेरिकेट्स, तार फेंसिंग, सड़को पर मोटे किले लगाना आदि सम्मिलित है. राकेश टिकैत ने किसानों को भड़काने के लिए भी इन्ही का जिक्र किया था. गौरतलब है कि सिंघु, गाजीपुर समेत दिल्ली के कई बॉर्डर्स पर हजारों की संख्या में किसान लगभग ढाई महीने से आंदोलन कर रहे हैं.
आपको बता दें कि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को भड़काऊ भाषण देने के लिए भी जाना जाता है. 26 जनवरी की घटना के पहले भी राकेश टिकैत ने युवाओं को भड़काया था. जिसके कारण 26 को देश को दुनिया के सामने शर्मशार करने वाली घटना हुई थी. पुलिस के साथ मारपीट करते हुए किसानों के झुंड ने लाल किले पर धार्मिक झंडा लगा दिया था. जिसका दोष भी राकेश टिकैत ने सरकार के ऊपर ही दिया था. इसी घटना के बाद किसानों ने दिल्ली से रवानगी दें दी थी. किसानों को कम होता देख राकेश टिकैत ने अपने आंसू बहा दिए. इन्हीं आसुंओं ने इस ख़त्म होते आंदोलन का रुख मोड़ दिया था, जिसके बाद एक बार फिर दिल्ली की सीमाओं पर किसान जुटने लगे थे.