बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा क्यों की जाती है? जाने इसके पीछे की पौराणिक कहानी
बसंत पंचमी (Basant Panchami) का पर्व देश में हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग पुर श्रद्धा भावना से मां सरस्वती (Maa Saraswati) की पूजा करते हैं। सरस्वती जी को ज्ञान और स्वर की देवी कहा जाता है। बसंत पंचमी के दिन इनकी पूजा का एक विशेष महत्व रहता है। यह पर्व हर साल माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह बसंत पंचमी 16 फरवरी, मंगलवार को पड़ रही है।
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा पाठ करने से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए इस पावन पर्व पर छोटे बच्चों की विद्या आरंभ की जाती है। इसके साथ ही विद्यार्थी, लेखक, कवि, गायक और कला – साहित्य से जुड़े लोग दिल से मां सरस्वती की आराधना करते हैं। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने के पीछे एक दिलचस्प कहानी भी है।
मायाताओं के अनुसार एक बार भगवान ब्रह्मा जी संसार की रचना कर रहे थे। उन्होंने पहले मनुष्य, पेड़ पौधे, जीव जंतु जैसी सभी चीजें बना दी। इसके बाद उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का। इस जल से उनके सामने 4 हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। इस स्त्री के चेहरे पर अद्भुत तेज था। एक में वीणा तो दूसरा हाथ वरमुद्रा में था। बाकी के दोनों हाथों में किताब और माला थी।
ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती को प्रणाम किया। उन्होंने देवी से निवेदन किया कि वे अपनी वीणा का मधुर नाद करें। इसके बाद जैसे ही सरस्वती जी ने अपनी वीणा से मधुर ध्वनि निकाली तो संसार की सभी चीजों में स्वर आ गए। इसके बाद ब्रह्माजी ने देवी को ‘सरस्वती’ नाम दिया। जब यह घटना हुई तब बसंत पंचमी का दिन था। बस यही वजह है कि इस दिन पूरे संसार में बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा आराधना होने लगी।
बसंत पंचमी का दिन हिंदू सज्जनों के लिए बहुत विशेष महत्व रखता है। इस दिन वे नदियों में स्नान कर बसंत पंचमी मनाते हैं। वहीं किसी नए कार्य का शुभारंभ भी बसंत पंचमी पर किया जाता है। यह दिन किसी भी नए या मंगल कार्य के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन नए काम शुरू किए जाए तो अच्छे नतीजे देखने को मिलते हैं।
बसंत पंचमी के दिन पीला रंग पहनना शुभ होता है। कई घरों में तो खाने में पकवान भी पीले ही बनाए जाते हैं। इस दिन पीले रंग की वस्तु दान करना भी पुण्य का काम माना जाता है।