अल्पायु योग: आपकी उम्र लंबी होगी या छोटी? अपनी कुंडली देख ऐसे पता लगाए
इंसान के मन में हमेशा एक जिज्ञासा रहती है कि वह कितना लंबा जिएगा? उसकी मौत किस उम्र में होगी? इस बात का अंदाजा आप किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली देखकर भी लगा सकते हैं। आप ने भी देखा होगा कि बहुत से लोग कम उम्र में ही मर जाते हैं। इसका एक कारण उनकी कुंडली में अल्पायु का होना भी हो सकता है। अल्पायु का मतलब है 35 साल की उम्र के पहले ही मर जाना। यह ग्रहों की कुछ विशेष स्थतितियों के कारण होता है जो इस प्रकार है।
1. यदि किसी जातक की कुंडली में विराजित चंद्र गृह पाप ग्रहों से युक्त हो जाए और त्रिक स्थानों पर बैठ जाए या फिर लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि पड़ जाए और वह शक्तिहीन हो जाए, तब उस स्थिति में अल्पायु योग उत्पन्न होता है।
2. एक दिलचस्प बात ये है कि इंसान पर सिर्फ उसकी कुंडली ही नहीं बल्कि उसके परिजनों की कुंडली का भी प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए यदि आपकी कुंडली में कोई वर्ष विशेष मारक अवस्था में हो लेकिन आपके बेटे की कुंडली में पिता का योग बलशाली हो तो उस स्थिति में उपाय किया जाए तो ये मारक योग सिर्फ सेहत से जुड़े कष्ट का योग बनाता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर मनीषियों ने आयु निर्धारण के सामान्य नियम बनाएं और अल्पायु योग के संकेत बताएं।
3. आयु निर्धारण के अनुसार यदि आपकी कुंडली में मुख्य ग्रह (लग्न का स्वामी) 6, 8, 12 में हो तो ये सेहत से जुड़ी दिक्कतें देता है। ऐसे में इसे मजबूत करने का उपाय अवश्य करना चाहिए।
4. लाल किताब की माने तो आयु का निर्धारण गुरु करता है। इसलिए अगर गुरु 8वें और 6वें भाव में विराजित होकर पीड़ित हो रहा है तो यह अल्पायु योग माना जाता है।
5. पाप ग्रहों जैसे शनि, राहू, सूर्य, मंगल, केतु और चंद्रमा (अमावस्या वाला) कुंडली के 3, 6,12 में हो तो अल्पायु योग के चांस बढ़ जाते हैं। वहीं लग्न में लग्नेश सूर्य के संग हो और उस पर पाप दृष्टि पड़ रही हो तो लंबी आयु योग कमजोर पड़ने लगता है।
6. अष्टमेश (8वें स्थान का स्वामी) यदि 6वें या 12वें स्थान पर हो एवं पाप ग्रहों की संगत में हो या उन पाप ग्रहों के प्रभाव में हो तो भी अल्पायु योग उत्पन्न होता है। वहीं लग्नेश के निर्बल होने, सभी पाप ग्रहों के केंद्र में होने और उन पर शुभ दृष्टि न पड़ने पर भी आयु कम हो जाती है।
7. इसके अलावा धन और व्यय यानि दुसरें और 12वें भाव में पाप ग्रह की उपस्थिति होने पर और मुख्य ग्रह कमजोर होने पर भी अल्पायु योग बनता है।
8. शुक्र गुरु के लग्न में होने और पापी मंगल के पांचवें भाव में होने पर भी उम्र कम हो सकती है।
9. चंद्रमा के लग्न के स्वामी से होकर अस्त होने, ग्रहण में होने या नीच अवस्था में होने पर भी अल्पायु योग बनते हैं।