शनिदेव की ये कथा पढ़ने से हो जाएगा दुखों का अंत, धन संकट से भी मिल जाएगा छुटकारा
शनिदेव की दृष्टि को हानिकारक माना जाता है। कहा जाता है कि अगर किसी जातक के ऊपर शनिदेव की दृष्टि पड़ जाए, तो जातक का जीवन बर्बाद हो जाता है और दुखों से भर जाता है। शनिदेव की दृष्टि से एक कथा भी जुड़ी हुई है। इस कथा का उल्लेख ब्रह्मपुराण में किया गया है। ब्रह्मपुराण के अनुसार शनिदेव कृष्ण जी के भक्त हुआ करते थे और इनकी भक्ती में लीन रहते थे। एक दिन शनिदेव कृष्ण जी की भक्ती कर रहे थे। तभी उनकी पत्नी उनसे मिलने के लिए आई।
दरअसल शनि देव का विवाह बचपन में ही चित्ररथ की कन्या से हुआ था। वहीं एक दिन ऋतु स्नान के बाद पुत्र प्राप्ति की कामना लेकर शनिदेव की पत्नी उनके पास आई। लेकिन शनिदेव अपनी भक्ती में थे। ऐसे में शनिदेव की पत्नी को उनकी प्रतीक्षा करनी पड़ी और इस प्रतीक्षा से इनका ऋतकाल निष्फल हो गया। जिससे वो बेहद ही क्रोधित हो गई और क्रोधित होते हुए शनिदेव को श्राप दे डाला। शनिदेव को श्राप देते हुए इनकी पत्नी ने कहा कि आज से जिसे भी वो देखेंगे वो नष्ट हो जाएगा।
हालांकि शनिदेव फिर भी अपनी भक्ती में लीन रहे। वहीं पूजा खत्म होने के बाद वो अपनी पत्नी के पास गए और उन्हें मनाने लगे। इसी दौरान शनिदेव की पत्नी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने शनिदेव से श्राप के लिए माफी मांगी। तभी से शनिदेव ने अपना सिर नीचे रखना शुरू कर दिया। ताकि उनकी दृष्टि किसी पर न पड़े।
एक अन्य कथा के अनुसार अगर शनि ग्रह रोहिणी नक्षत्र भेद दें, तो पृथ्वी पर 12 वर्षों का घोर दुर्भिक्ष पड़ जाता है। महाराज दशरथ ने एक बार पंडितों को अपनी कुंडली दिखाई। जिसमें पंडितों ने उन्हें शनि ग्रह के रोहिणी भेदन होने की जानकारी दी। फिर क्या था महाराज दशरथ अपना रथ लेकर नक्षत्र मंडल पहुंच गए। सबसे पहले उन्होंने शनिदेव को प्रणाम किया और फिर क्षत्रिय धर्म के अनुसार, उनसे युद्ध करते हुए उन पर संहारास्त्र का संधान किया।
राजा दशरथ की कर्तव्यनिष्ठा से शनिदेव बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने महाराज दशरथ से वर मांगने को कहा। तब राजा दशरथ ने शनिदेव से कहा कि जब तक सूर्य, नक्षत्र आदि विद्यमान हैं, तब तक आप संकटभेदन न करें। शनिदेव ने उन्हें ये वरदान दे दिया। इस तरह से महाराज दशरथ ने शनिदेव से अपनी और अपनी प्रज्ञा की रक्षा की। कहा जाता है कि अगर शनिवार के दिन उपरोक्त कथा को पढ़ा जाए तो व्यक्ति के जीवन से धन संकट दूर हो जाता है और उसकी रक्षा शनिदेव से भी होती है। इसलिए आप शनिवार के दिन शनिदेव से जुड़ी इन दोनों कथाओं के जरूर पढ़ें।