
हिंसा फैलाने वाले दंगाइयों को रिहा करे सरकार, तभी होगी बात नहीं तो देशभर में ट्रैक्टर परेड
देश उत्तर भाग में में किसान आंदोलन के नाम पर हो रहा बवाल थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं. गुजरते दिनों के साथ प्रदर्शनकारी और मजबूती से दिल्ली की सीमाओं पर बढ़ते जा रहे हैं. सरकार और प्रदर्शनकारी के बीच कई दौरों की बातचीत भी हुई, लेकिन वह बेनतीजा रही. इतना ही नहीं अब किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच में तल्खी बढती ही जा रही है. बीते 2 महीने से ज्यादा समय से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पर बैठे किसान कृषि कानूनों की वापसी के अलावा और कुछ भी नहीं चाहते है. इसके अलावा वह किसी भी तरह के समझौते के लिए तैयार नहीं है.
प्रदर्शनकारीयों ने सपष्ट कर दिया है कि, अगर कानून वापस नहीं लिए गए तो वह दिल्ली की सीमाओं पर अनिश्चित काल तक बैठे रहेंगे. वहीं प्रदर्शनकारीयों ने किसानों के तेवर देखते हुए इन धरना स्थलों के आस-पास कील-कांटे, बैरिकेटिंग के जरिए किलेबंदी कर दी है. ताकि किसानों द्वारा होने वाली गतिविधि को कंट्रोल किया जा सके.
इसके साथ ही किसान नेता राकेश टिकैत ने स्पष्ट कर दिया है कि इस तरह से उनका यह आंदोलन अक्टूबर तक चलेगा, अगर अक्टूबर आने तक भी केंद्र सरकार बात नहीं मानती है तो फिर किसान संगठन देशव्यापी ट्रैक्टर परेड निकालेंगे. ख़बरों की माने तो भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘किसानों की तरफ से केंद्र सरकार को अक्टूबर तक की मोहलत दी गई है. इस समय अवधि के दौरान अगर सरकार हमारी मांगों को नहीं सुनती है तो हम 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ देशव्यापाी ट्रैक्टर रैली निकालेंगे.’ इसके साथ ही राकेश राकेश टिकैत ने कहा कि हमारा नारा है, ‘कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं’ इसके साथ ही उन्होंने कहा यह आंदोलन इतनी जल्दी समाप्त नहीं होगा यह अक्टूबर तक चलने वाला है.
इसके साथ ही किसान नेता राकेश टिकैत से जब पूछा गया कि क्या सरकार से कोई बातचीत चल रही है. इस पर उन्होंने सपष्ट रूप से बोलते हुए कहा कि जब तक सरकार हमारे गिरफ्तार किये हुई किसान भाइयों को रिहा नहीं करती हम सरकार से किसी भी तरह की बात आगे नहीं बढाएंगे. सरकार को अगर हम से बात करना है तो पहले हमारे किसानों को रिहा करे. आपको बता दें कि किसानों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के नाम पर पूरी दिल्ली में हुड़दंग मचा दिया था. किसानों ने दिल्ली की सीमा में घुसते हुए न सिर्फ पुलिस पर हमला किया साथ ही लाल किले को भी नुकसान पहुंचाया. पुलिस ने बाद में इन हुड़दंगियों को चिन्हित करते हुए गिरफ्तार कर लिया था. अब ये किसान आंदोलन के नाम पर इन्हे ही रिहा करने की मांग कर रहे है.
गौरतलब है कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों के किसान कानूनों के विरोध में पिछले दो महीनों से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारीयों ने कहा है कि सरकार ये कानून सिर्फ बिज़नेस मेन लोगों की मदद के लिए बना रही है. राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि सरकार किसानों के आंदोलन से डरी हुई है. इसलिए दिल्ली सीमा पर किसानों को पुलिस द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है. 26 जनवरी के बाद हमारे कई किसान भाई लापता है. जब तक सरकार उन्हें रिहा नहीं कर देती बात आगे नहीं बढ़ेगी.