दिल्ली पुलिस को एक बार फिर मिला ‘मोसाद’ का साथ, जल्द ही उठेगा दिल्ली ब्लास्ट से पर्दा
भारत में इजरायल के दूतावास के बाहर हुए के छोटे से IED ब्लास्ट ने देश समेत दुनिया को दहलाकर रख दिया है. इस मामले मे इजरायल ने भारत पर भरोसा जताया है उसके नागरिकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी. इसी बीच इजरायल की तेज़ तर्रार खुफिया एजेंसी मोसाद एक बार फिर से सुर्ख़ियों में आ गई है. कयास लगाए जा रहे है कि हमले के पीछे जो भी होगा, उसके लिए मोसाद से बचना न नामुमकीन होगा.
मोसाद से जुडी एक सच्ची घटना हम आपको बताते है. 13 फरवरी, 2012 का दिन था सूरज एक दम चढ़ा हुआ था. घड़ी में तक़रीबन सवा तीन बजे होंगे. एक इजरायली डिप्लोमेट की वाइफ ताल येहोशुआ कोरेन अपने बच्चों को स्कूल घर लाने के लिए गई थीं. 109 CD 35 इस नंबर प्लेट वाली टोयटा इनोवा कार में वह पीछे की ओर बैठी थीं. यह गाड़ी जैसे ही औरंगजेब रोड ट्रैफिक लाइट पहुंची तो इसमें आग की लपटें फैलने लगीं. इसके बाद तुंरत गाड़ी रोककर कोरेन को फौरन अस्पताल पहुंचाया ले जाया गया. अस्पताल में कुछ दिनों के इलाज़ के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हो गई उसके बाद शुरर हुई इस मामले की इंटरनेशनल जाँच.
इस धमाके के बारे में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के पास शुरू-शुरू में कुछ ज्यादा सबुत नहीं थे. उन्हें सिर्फ इतना पता था कि एक व्यक्ति मोटरसाइकिल से पीछे से आया और एक मैग्नेटिक एक्सप्लोजिव डिवाइस गाड़ी के पीछे लगाकर चल दिया. पर इस मामले मे जब मोसाद की एंट्री हुई तो किसी ने नहीं सोचा था कि यह मामला इतनी जल्दी सुलझ जाएगा. दोनों एजेंसियों ने मिलकर एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया था. दोनों की जाँच के बाद जो तथ्य निकले उनसे सवाल उठा ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) और उसकी कुद्स फोर्स पर.
ऐसे पता चला आरोपी के बारे में
उस समय इस मामले की इन्वेस्टीगेशन कर रहे ऐंटी-टेरर पुलिसकर्मी अशोक चंद (रिटायर्ड) ने एक निजी अखबार को बताया, भारत में जो हमला हुआ था, वह इकलौता हमला नहीं था. ऐसे ही हमलों की खबर दूसरे देशों से भी आ रही थी. इज़राइल को निशाना बनाकर हमले दूसरे देशों में भी किए गए थे. जॉर्जिया में भी ठीक उसी दिन, एक इजरायली डिप्लोमेट की कार के नीचे एक विस्फोटक लगाया गया था. पुलिस और प्रशाशन की सजगता से उसका पता लग गया और फिर उसे डिफ्यूज कर दिया गया था. थाईलैंड में भी इसी तरह की आशंका के चलते दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था. इसी तरह मलेशिया से भी एक संदिग्ध को पकड़ा था.
दरअसल मलेशिया में पकड़े गए संदिग्ध ने ईरान में भारतीय दूतावास के जरिए भारतीय वीजा के लिए अप्लाई किया था. यही से उस पर शक गहराया और उसे पकड़ा गया. उस संदिग्ध ने अपने वीजा फॉर्म पर कॉन्टैक्ट नंबर लिखा था और वो नंबर एक भारतीय नंबर के संपर्क में पाया गया था.