पौष पूर्णिमा के दिन कर दें ये काम, प्रसन्न हो जाएंगी मां लक्ष्मी धन की नहीं होगी जीवन भर कमी
हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा का काफी महत्व है और इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। पौष पूर्णिमा के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देना भी फलदायक माना जाता है और ऐसा करने से रोगों से रक्षा होती है। इस साल पौष पूर्णिमा का पर्व 28 जनवरी यानी आज है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन संगम किनारे कल्पवास करने, व्रत रखने, गंगा स्नान करने, दान देने और सूर्य देव को अर्घ्य देने से हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं और स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा पर इस वर्ष गुरु पुण्य का योग भी बन रहा है। जो कि काफी शुभ योग माना जाता है। इसलिए आप पौष पूर्णिमा का व्रत जरूर रखें।
इस तरह से करें पूजा
हिंदू धर्म के अनुसार, पौष पूर्णिमा के दिन की गई पूजा सफल रहती है, जीवन में बरकत बनी रहती है और धन की कमी नहीं होती हैं। साथ ही दुखों का नाश भी हो जाती है।
- पौष पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर घर की सफाई कर स्नान कर लें। अगर आप गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं, तो नहाने के पानी में गंगा जल मिला दें। स्नान के बाद पूजा करें और पूरे दिन उपवास रखने का संकल्प लें। पूजा करते हुए दान करने वाली वस्तुओं को भी भगवान के सामने रख दें।
2. पूजा होने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए आप एक लोटे के अंदर जल भर दें। इसमें एक लाल फूल और चावल डाल दें। फिर इस पानी से सूर्य देव को अर्घ्य दें और सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें।
3. सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद दान में देने वाला सामान किसी गरीब व्यक्ति को दे दें।
4. रात्रि में चंद्र देव की पूजा करें और इन्हें अर्घ्य भी दें। चंद्र देव को अर्घ्य देने के पानी में थोड़ा सा दूध मिला दें। इसके अलावा फूल, धूप, दीप, अन्न, गुड़ चंद्र देव को अर्पित करें।
5. शाम के समय पीपल के पेड़ की पूजा करने से भी उत्तम फल मिलता है। इसलिए शाम को हो सके तो पीपले के पेड़ के पास एक दीपक जला दें और उन्होंने जल अर्पित करें। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है।
6.पौष पूर्णिमा के दिन गुरुवार है, तो आप केले के पेड़ की पूजा भी अवश्य करें। इस पेड़ का पूजन करने से गुरु ग्रह आपके अनुकूल हो जाएगा।
रखें इन बातों का ध्यान
- पौष पूर्णिमा वाले दिन प्याज व लहसुन का सेवन न करें।
- किसी से लड़ाई करने से बचें।
- रात के समय चंद्र देव को देखकर ही अपना व्रत तोड़ें।